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श्रुतसागर - ३७
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पडी, त्यारे आ मंदिर एक बावाना हाथमां आव्युं बावाए प्रभुनी मूर्ति उपाडी भोंयरामा राखी दीधी. त्यारपछी जैनोए संवत् १६२२ मां महावीरस्वामीनी मूर्ति पधरावीने प्रतिष्ठा करी. ते पछी तो पेला बावाए पण पार्श्वनाथनी मूर्ति जैनोने पाछी सोंपी. आ पार्श्वनाथनी मूर्ति हाल मंदिरनी पाछळ एक देवकुलिकामा मोजूद छे,
कहेवाय छे के, बीजी वार पण एवो प्रसंग आवेलो, के मंदिरनो कबजो त्यांना ठाकोरना हाथमां गयेलो, पण पाछलथी ठाकोर पासेथी जैनोए लईने संवत् १९२० मां रावश्री देशलजीना पुत्र रावश्री प्रागमलजीना समयमां जीर्णोद्धार कर्यो. छेल्लामा छेल्लो जीर्णोद्धार संवत् १९३९ ना महासुद १० ने दिवसे मांडवी निवासी शेठ मोशी तेजशीनां पत्नी मीठीबाईए कराव्यो हतो.
भद्रेश्वरना आ मंदिरनी रचना खूब खुबी वाळी छे. समतल जमीनथी मंदिरनो गभारो घणो ऊंचो अने दूर होवा छतां लगभग सो के तेथी वधारे फूट दूरथी पण मुख्य मूर्तिना दर्शन थइ शके छे. ४५०x३०० फूटना चोगानमां आ मंदिर आवेलुं छे. मुख्य मंदिरनी चारे तरफ बावन नानी नानी देरीओ छे. चार मोटा घुम्मट अने बे नाना घुम्मटो छे. घणा मोटा एवा बसो अढार थाभला छे. मंदिरनी चारे तरफ अने कम्पाउंडथी बहार पण मांडवी, भूज अने बीजां गामो तरफथी बनेली अनेक धर्मशालाओ छे. एक मोटो उपाश्रय छे. वचमां विशाल सुंदर चोक छे.
दर वर्षे फागण सुद त्रीज, चोथ, पांचमनो मेळो भराय छे. पांचमे धूमधाम पूर्वक ध्वजा चडाववामां आवे छे. मेळामां समय प्रमाणे हजारो माणसो आवे छे.
आ मंदिरनो वहीवट 'वर्धमान कल्याणजी' ए नामनी पेढी द्वारा चाले छे. भूज, मांडवी अने कच्छना बीजां गामोना आगेवान गृहस्थो आ पेढीना वहीवटदारो छे. कमीटीना प्रमुख भूजना नगरशेठ साकरचंद पानाचंद छे.
पाटणना रहीश अने मुंबईना महान वेपारी धर्मप्रेमी शेठ नगीनदास करमचंद, संवत १९८३ मां कच्छनी यात्राए हजारो माणसोनी मेदनीवाळो संघ लावेला अने आ तीर्थनी यात्रा करेली, त्यारथी आ तीर्थनी प्रसिद्धि वधारे थई छे. खरेखर, तीर्थ भव्य अने दर्शनीय छे.
भद्रावती भांगी, पण भद्रावतीनां अवशेषो अने भद्रावतीनुं आ भव्य मंदिर भद्रावतीनी भव्यतानो हजु पण परिचय करावी रह्यां छे. कच्छराज्य आ स्थाननी शोधखोळ करावे तो घणी वस्तुओ मली शके.
(जै. स. प्र. वर्ष ७ अंक नं. १ ३मांथी साभार)
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