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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२ फरवरी - २०१४ भद्रावतीनो इतिहास अत्यारना 'भद्रेश्वर'ना जैन मंदिरनी साथे घनिष्ट संबंध धरावे छे. विक्रम संवत चारसो पचास वर्षों पूर्वे, एटले आजथी लगभग २४४४ वर्ष उपर, आ नगरीना देवचंद्र नामना एक जैन धनाढ्ये एक विशाल जैनमंदिर बनावेलुं. एबुं एक ताम्रपत्र उपरथी जणायुं छे. आ ताम्रपत्रमांना उल्लेख प्रमाणे वीर नि. सं. २३मां आ मंदिर बन्यु. आ मूळ ताम्रपत्र भुजना कोइ यति पासे छे, अने तेनी नकल भद्रेश्वरना मंदिरमा साचवी राखेल छे. तेम ज कच्छनी भूगोळमां पण छपायेल छे. विक्रम संवत् आठथी दश सुधी भद्रावती नगरी पढीयार जातिना राजपुतना हाथमां हती, एम श्रीयुत लालजी मुलजी जोशी पोताना 'कच्छनी लोककथा' नामना पुस्तकमां लखे छे. जुनी भद्रावतीना जे अवशेषो अहीं दृष्टिगोचर थाय छे, तेमां जगडुशाहे बंधावेली 'जुडीआ वाव' 'माणेश्वर चोखंडा महादेवनुं मंदिर,' 'पुलसर तलाव', 'आशापुरीमातानुं मंदिर' 'लालशा बाजपीरनो कुबो, 'सोल थांभलानी मस्जीदो', 'पींजरपीरनी समाधि' अने 'खीमली मस्जीद' - आम हिंदु-मुसलमान संस्कृतिना अनेक अवशेषो अहीं मोजूद छे. तेमांना केटलाक उपर अने केटलाक पाळीयाओ उपर शिलालेखो पण छे. दाखला तरीके आशापुराना मंदिरना एक थांभला उपर संवत् ११५८ नो लेख छे. केटलाक पाळीयाओ उपर संवत् १३१९ना लेखो छे. चोखंडा महादेवना मंदिरनी डेलीना एक ओटलाना चणेला पत्थरमां संवत् ११९५नो सिद्धराज जयसिंहना समयनो लेख छे. कहेवाय छे के आ पत्थर दुधियावाला मंदिरमाथी लावीने बेसाडवामां आव्यो छे. चोवीसो वर्ष उपर देवचन्द्र नामना गृहस्थे बनावेला महावीरस्वामीना मंदिरनो जे उल्लेख उपर करवामां आव्यो छे, ते मंदिरनो जीर्णोद्धार कुमारपाल राजाए पण कराव्यानो उल्लेख मळे छे. ते पछी जे जगडुशाहनुं नाम उपर लेवायुं छे, ते जगडुशाहे आ मंदिरनो जीर्णोद्धार कराव्यो. आ जगडुशाहे देशना रक्षण माटे अढळक द्रव्य खानां प्रमाणो इतिहास प्रसिद्ध छे. 'वीरधवलप्रबंध'मां जे 'वेलापुर बंदर'नुं नाम आवे छे ते आ ज 'भद्रावती' हतुं, एम पण इतिहासकारो माने छे. आ प्रसंगे आपणे महादानी जगडुशाहनी दानवृत्ति जरा जोईए. हिन्दुस्तानमां पडेलो पनरोतरो दुकाल (१३१५) इतिहास प्रसिद्ध छे. जगडुशाहनुं चरित्र कहे छे के, ते वखते भद्रावती, वाघेलाने ताबे हती. जगडुशाहे तेमनी पासेथी पोताने कबजे लीधी. अने आ दुष्कालमां एटलुं बधुं दान कर्यु, के आखा देशने दुष्कालनी असर न थवा दीधी. बल्के कविओ कल्पना करे छे के, दुकाळने पण खूब खबर For Private and Personal Use Only
SR No.525287
Book TitleShrutsagar Ank 2014 03 037
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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