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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर - ३७ मृगापुत्रनी संयमसाधनानुं वर्णन करवामां आवेल छे. वीसमुं अध्ययन महानिर्ग्रन्थीय छे. जेमां मोक्ष अने धर्मनुं कथन छे तेमज राजा श्रेणिक साथे अनाथी मुनिनो संवाद छे. एकवीसमुं अध्ययन समुद्रपालीय छे, जेमां वणिक पुत्र समुद्रपालनी कथा छे, बावीस अध्ययन रथनेमीय छे, जेमां राजीमति रथनेमिने उन्मार्गथी सत्पथ पर लावता राजीमति अने रथनेमिना शब्दचित्रनुं हृदयस्पर्शी चित्रण छे. १३ त्रेवीसमुं अध्ययन केशी गौतमीय छे, जेमां पार्श्वनाथ प्रभुना शिष्य केशी अने भगवान महावीरना शिष्य गौतम वच्चे थयेलो संवाद, जिज्ञासा अने मिलननी वातोनुं आलेखन छे. चोवीसमुं अध्ययन प्रवचनमाता छे, जेमां पांच समिति अने त्रण गुप्तिनुं सुंदर वर्णन प्रस्तुत कर्तुं छे. पच्चीसमुं अध्ययन यज्ञीय छे, जेमां जयघोष अने विजयघोष मुनिनो संवाद छे. वेद अने यज्ञनी अशरणतानी वात आ अध्ययनना माध्यमे मळे छे. छव्वीसमुं अध्ययन समाचारी छे, जेमां साधुनी दशविध सामाचारीनुं वर्णन करवामां आव्युं छे. सत्यावीसमुं अध्ययन खलुंकीय छे, जेमां गर्गमुनिनो परिचय तेमज अविनीत शिष्योनी अविनीतताने वर्णववामां आवी छे. बळदना दृष्टांत द्वारा अविनीत शिष्योनी क्रियानुं वर्णन छे. . अट्ठावीसमुं अध्ययन मोक्षमार्ग गति छे. जेमां मोक्षमार्गरूप रत्नत्रयीनुं विस्तारथी वर्णन छे. ओगणत्रीसमुं अध्ययन सम्यक् पराक्रम छे. जेमां सम्यक् पराक्रमना ७३ स्थानो बताया छे. त्रीसमुं अध्ययन तपोमार्गगति छे. तेमां बार प्रकारना तपनी विविध विगतोनो समावेश थाय छे तेमज तपाचरणना फळनो निर्देश करवामां आवे छे. एकत्रीसमुं अध्ययन चरणविधि छे. जेमां चारित्रनुं वर्णन छे. बत्रीसमुं अध्ययन प्रमादस्थानीय छे, जेमां विषयो तरफ प्रवृत्त इन्द्रियोनी वृत्तिने निरोध करवानो उपदेश छे. तेजम विषयोथी निवृत्ति अने तेना फळनी वात आ अध्ययनथी जाणी शकाय छे. तेत्रीरामुं अध्ययन कर्मप्रकृति छे. जेमां रांगारना परिभ्रमणनुं मूळ कारण अने कर्मनी विभावना आ अध्ययनमां दर्शावी छे. चोत्रीसमुं अध्ययन लेश्या छे. जेमां लेश्याओनुं विविध निक्षेपा वडे वर्णन करवामां आव्युं छे. पांत्रीसमुं अध्ययन अनगारमार्गगति छे. जेमां अणगारना गुणोनी साथे आहार अने आवास आराधना अने साधनानुं वर्णन करवामां आव्युं छे. छत्रीसमुं अध्ययन जीवाजीवविभक्ति छे, जेमां जीव- अजीवना भेद - प्रभेदनं विस्तारथी वर्णन करवामां आव्युं छे. आम उत्तराध्ययनसूत्रनी भावयात्रा करावी आपती आ कृति अत्रे सौ प्रथम वार प्रकाशित थाय छे. For Private and Personal Use Only कर्ता परिचय :- आ कृतिना कर्ता अंचलगच्छीय युगप्रधान आचार्य श्री धर्ममूर्तिसूरिनी परंपराना सोममूर्ति वाचक द्वारा आ कृतिनी रचना थई छे. आ
SR No.525287
Book TitleShrutsagar Ank 2014 03 037
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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