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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवम्बर-१३ गहलीना नामे प्रसिद्ध थयां. आ प्रथा धर्ममां पण दाखल थइ अने गुरु समक्ष तेमना प्रवेश आदि प्रसंगे के व्याख्यान पूर्ण थया पछी मंगल गीतो गावानी शरुआत थइ. आ गीतो गहुँलीना नामे ओळखावा लाग्यां. मुख्यत्वे गहुँली जैनमुनिओना व्याख्यान दरम्यान बहेनो द्वारा गावामां आवे छे. तेमां महाराज साहेबना गुणोनुं वर्णन होय छे, तेमनी वाणीनी प्रशंसा करवामां आवे छे अने तेओ जे सूत्र वांचता होय तेनो महिमा गावामां आवे छे. जैनमुनिओ सभामां धर्मनो उपदेश आपे तेने व्याख्यान कहेवाय छे. साधारण रीते चोमासा सिवायना आठ महिना तेओ एक गामथी बीजे गाम कोइनी सहायता वगर खुल्ला पगे फरता रहे छे. चोमासाना चार महिना एक स्थानमां स्थिर रहे छे विहारमां के चोमासामा तेओ समाजने व्याख्यान द्वारा प्रबोधन करता रहे छे. आठ महिनामा विहारने कारणे व्याख्यान अनियमित होय छे माटे चोमासामां गृहस्थवर्गनी व्याख्यान माटेनी उत्कंठा प्रबळ होय छे. जैन साधु शास्त्रना जाणकार अने उत्तम वक्ता होय छे तेथी तेमना व्याख्यान प्रभावशाळी होय छे. तेमना व्याख्यान द्वारा सांभळनार कठिन तप करवा प्रेरित थाय छे. आम तेमनी वाणीथी आकर्षाईने लोको अहोभावथी तेमना गुणगान करे ते सहज छे. चोमासामा साधुभगवंतो कोइ एक सूत्रना आधारे प्रवचन आपे छे. आ सूत्र पण महत्त्वनुं छे. गहुँलीमां तेना पण गुण गवाय छे. मोटे भागे सधवा स्त्रीओ गहुली गाती होय छे. गहुँलीनी रचना गानारी स्त्रीओ पण करे छे अने बीजानी रचना पण गाय छे. साधुभगवंतो पण पोताना गुरुना गुणोनुं वर्णन करती के सूत्रनो महिमागान करती गहुंली बनावी आपे छे. स्वाभाविक रीते ज ज्ञानी अने प्रभावसंपन्न साधुभगवंतो द्वारा रचायेली गहुंलीमां गंभीरता, कल्पना अने चमत्कृति सविशेष जोवा मळे छे. मध्यकाळमां साधुभगवंतो द्वारा आवी अनेक गहुंली रचाइ छे अने लखाइ पण छे परंतु तेनी व्यवस्थित नोंध के इतिहास मळता नथी. आवी कृतिओ छुटक छुटक पानांओमां अहीं तही वेरायेली जोवा मळे छे. अहीं आवी ज बे अप्रचलित गहुंलीन संपादन प्रस्तुत छे. आ कृति कोइ व्यवस्थित नथी परंतु एक छुटक पानांमां लखायेली जोवा मळे छे. पानांना हस्ताक्षर जोतां तेनो लेखनसंवत् लगभग १९मी सदी छे. पानांनी लंबाइx पहोळाइ ११ x २५ सें. मी. छे. ९ पंक्ति छे. स्थिति सारी छे. पूर्ण छे. अंते लेखक, नाम नथी. प्रत शुद्ध छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525284
Book TitleShrutsagar Ank 2013 11 034
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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