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अवसरनो आनंद तरुवरनी जेम श्रुतसागरनो विकास वांचनना छांये बेठेला मुसाफरोने शाता आपे छे. ए जाणी, माळीने आनंद ज थाय. छेल्ला केटलाक समयथी श्रुतसागरना माध्यमे श्रुतनी भक्ति करवानो अवसर सुविशेष मळी रह्यो छे. श्रुत अने श्रुतवान्नी भक्ति करवानो ज्ञानमंदिरनो आशय अने उद्देश रह्यो छे.
चैत्र वद -१ नो दिवस ज्ञानमंदिर माटे खरेखर आनंद अने उत्सवनो दिवस छे. आ दिवसे ज्ञानमंदिर परिवारे करेली विशिष्ट श्रुतोपासनाना प्रकाशननो त्रिवेणी संगम रचायो. चैत्र वद-१ने गुडीपडवानो तहेवार खरा अर्थमां ज्ञानमंदिर परिवार माटे नूतन वर्ष जेटलो आनंददायी बनी रहेशे एमां कोई शंका नथी. अवसर पहेलो.
जेना शब्दोमां अतप्तिनी तरस अने आसक्तिना अभिशापथी ग्रसित मानव चैतन्यने पूर्ण बनाववानी प्रचंड क्षमता छे. जे शब्दोमां मानवनी साची आध्यात्मिक सिद्धिना मूळीयां धरबायेला छे. जेना पदोमां मानवनी मनोवृत्तिओने उर्ध्वगामी अने विराटमा पलटाववानी ताकात छे. जेना शब्दो मनना दुष्परिणामोनो नाश करे छे. कषायोनो उपशम करे छे. एवो शांतसुधारस ग्रंथ प्रकाशित थई रह्यो छे.
आ ग्रंथ महोपाध्याय श्री विनयविजयजी महाराजनी रचना छे. ए ग्रंथ उपर आधारित प्रवचनो पू. आचार्य श्री भद्रगुप्तसूरि म. सा.ना छे. बंन्ने महापुरुषोनी अभिव्यक्ति असरकारक छे. तो एमनी शैली वाचकोना आंतरतलने स्पर्श छे.
वात विनयविजयजी महाराजनी अने विवेचन पू. आचार्य भद्रगुप्तसूरि म.सा.नु.
वात अने विवेचननो सोना अने हीरा जेवो संगम शांतसुधारसनी उपादेयतामां वधारो करे छे. शांतसुधारसनो आ स्वाध्याय आपणी सर्व समस्यानुं समाधान छे. छेल्लां केटलांक वर्षोथी आ ज्ञानतीर्थ द्वारा विश्व कल्याण प्रकाशनना गुणसभर अने ज्ञानसभर पुस्तकोनुं पुनः संपादन-प्रकाशन थई रह्यु छे.
आ प्रवचनो त्रण भागमा प्रकाशित थई रह्यां छे. नजीकना समयमा श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र - कोबा तीर्थमां आ ग्रंथो मळी शकशे.
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