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दीपावली शिरताज भगवान महावीर और गुरु गौतम
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यह परम पवित्र आदरणीय कल्पसूत्र की द्विपाठी प्रत है. देवनागरी लिप्यांकित यह प्रत सोलहवीं शताब्दी में लिखी गई है. और इस प्रत में कुल ८४ पत्र हैं. प्रत परिमाण २९.३" x १३.६" है. प्रस्तुत चित्र भगवान श्री महावीर के निर्वाण कल्याणक का द्योतक है.
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विक्रम संवत् १५३६ में लिखित व यह प्रत कल्पसूत्र की है. देवनागरी लिपि में आलेखित इस प्रत में कई सुन्दर-सुन्दर चित्र दिये गये हैं. प्रत परिमाण २६.१ x ११.१" है और इस प्रत में कुल १०९ पत्र हैं. प्रस्तुत चित्र प्रभु महावीर के हृदयस्थ, अंतस्थ और पटस्थ अनन्तलब्धि निधान गुरु गौतमस्वामी का परिचायक है.
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