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धर्म-कला एवं श्रुतज्ञानमय त्रितीर्थिरूप तीर्थक्षेत्र श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा में
परमपूज्य राष्ट्रसंत युगप्रभावक आचार्य श्रीमद् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब के
मंगलमय चातुर्मास प्रवेश प्रसंग पर
श्री सकल संघ निमन्त्रण पत्र
प. पू. जापमग्न आचार्य श्री अमृतसागरसूरीश्वरजी म. सा.
प. पू. राष्ट्रसंत आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा.
प. पू. ज्योतिर्विद् आचार्य श्री अरुणोदयसागरसूरीश्वरजी म. सा.
आपको यह जानकर अपार हर्ष होगा कि विगत ३ वर्षों के बाद परम पूज्य राष्ट्रसंत, श्रुतोद्धारक, व्याख्यानवाचस्पति, सुमधुरभाषी, आचार्यदेवेश श्रीमद् पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. कोबा ट्रस्टबोर्ड का नम्र निवेदन स्वीकार कर अपने शिष्य परिवार सहित वि.सं.२०६८ के आषाढ शुक्ल द्वितीया गुरुवार दिनांक २१ जून, २०१२ को यहाँ पधार रहे हैं. निश्चय ही हमारे पुण्य के प्रबल योग से गुरुभगवंत की निश्रा में चातुर्मासिक आराधना के अवसर हमें प्राप्त हो रहे हैं.
गुरुभगवंत का प्रत्येक चातुर्मास एक उल्लेखनीय, बहूद्देशीय, जिनशासनसेवा, मानवकल्याण, अद्भुत जिनभक्ति, अनेक जटिल समस्याओं के निराकरण के साथ पूर्ण होता है. यही कारण है कि श्रीसंघ के कल्याण हेतु, सुंदर मार्गदर्शन के लिये, तीर्थविकास के लिये, श्रुतसंरक्षण के लिये देश के विविध क्षेत्रों के श्रीसंघ अपने यहाँ चातुर्मास करने हेतु विनयावनत रहते हैं. गुरुदेव की दूरदर्शिता बड़ी ही अनोखी है.पद्मसदृश इनका मुखपद्म दर्शनार्थियों के हृदय को आह्लादित कर देता है. इनके दर्शन पाते ही अंतस्तल में निजत्व का भाव अंकुरित होता है. इनकी कृपादृष्टि बड़ी ही निराली है. भवभीतिग्रस्त अनेक आत्माओं को आत्मकल्याण का मार्ग दिखाकर संयमानरागी बनाते रहे हैं. इनके शिष्य-प्रशिष्य भी इनसे गहसदश ही स्नेह प्राप्त करते हैं. यही कारण है कि इनके चरणानुगामी शिष्य बहुमुखी प्रतिभा के धनी बनकर अलग-अलग क्षेत्रों में इनके उज्ज्वल यश में चार चाँद लगा रहे है.
- तो आइए! ऐसे गुरुवर के सान्निध्य का महत्तम लाभ उठाकर अपने भाग्य को सराहें तथा चातुर्मास पर्यन्त मानवकल्याणनिहित आचार्यश्री के सुमधुर रविवारीय व्याख्यानश्रवण का पावन लाभ लें.
विनयावनत प्रमुखश्री एवं ट्रस्टीगण 0 श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा, गांधीनगर
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