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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ૧૦ Gan || शास्वतजिनप्रतिमा स्तवन // दिन कबीर पत्रिक माइस या 12 आमटव लिंगायत ast विमात्रातिपदि Majroocha हिंदी बादाम Plsson कावास salaam प्रा www.kobatirth.org मिक विद्यामादर 01124 वादा 100 डाहर काहनिमि नदीम दिन . 9 दाह म का ६ दिनद ४लनक उ ।। भले मिंडु ।। सयल जिणेसर पय नमी, पछइ निजगुरु सार रे । सासतां जिणवर जिनप्रतिमा स्तवसु नाम संभार रे देव देवी तिहाँ मिलइं, आणी हरष अपार रे । हास्य राग टालइ तिहां, आशातन परिहार रे । आंचली। १२५२४००६०।००६० का दे ल For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " सात कोडि लक्ख बहुत्तरि ७७२००००० एतलां जिणहर मान रे । भवनपति सुरमांहि कह्यां तिहुं वारे सवि जाण रे वाणवंतर जोइस तिहां, जिणहर असंख विसाल रे । जिनप्रतिमा तिहां असंख वली हुं बांदउ त्रिणकाल रे ऊर्ध्वलोक सुरमांहि सवे, जिणहरनउ परिमाण रे । सहस सताणू श्रेवीस लाख चउरासी जाण रे।।८४९७०२३ दीप नंदीसर आठमउ, तिहां जिणहर बावन ५२ सार रे। चउ ४ चर कुंडल रुचक तिहां, ए सठि ६० छइ चउबार रे कुलगुरु पर्वत तीस ३० तिहां, दस १० कुरुषेत्रि पमाण रे । मेरुवने चेई असीई ८०, असी ८० भद्रसाल पमुहाण रे गजदंता तिहां बीस २० चेई, जिणहर असीइ ८० वखारि रे । च्यार ४ प्रसाद मनुष्य नगे नग ४ इखुकार वियार रे दिग्गयगिरि चालीस ४० घेई असीइ ८० द्रहे जिणठाण रे । कंचणकिरि इकसहस १०००, तिहां जिणहर संखमाण रे पं. संजयकुमार झा वैदेदीलशांत भूषण s emai ।।9।। ||२ || देव० ।। ||३|| देव० ।। ॥४॥ देव० ।। 1141129011 ||६|| देव० ।। ।।७।। देव० ।। મે ૨૦૧૨ ||८|| देव० ।।
SR No.525266
Book TitleShrutsagar Ank 2012 05 016
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2012
Total Pages20
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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