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________________ पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी भाचार्यपद प्रदान महोत्सव विशेषांक श्रुत समुद्धारक आचार्य श्री पद्मसागरसूरिजी महाराज रामप्रकाश झा डॉ.हेमन्त कुमार सिंह जिन शासन के समर्थ उन्नायकः * जैनश्रमण संस्कृति के गौरव राष्ट्रसंत आचार्य पद्मसागरसूरिजी महाराज • जैनश्रमण संस्कृति की गरिमापूर्ण परंपरा में एक यशस्वी नाम • व्यवहार-कुशलता, वाक्पटुता, कर्तव्य परायणता आदि गुणों से विभूषित. • जिनका देदीप्यमान जीवन मानवमात्र के लिये प्रेरणास्पद और वरदान है. * जैनशासन के उन्नयन हेतु संपूर्ण जीवन समर्पित कर देनेवाले आचार्य, * जिन्होंने अपनी मधुर वाणी से लाखों श्रोताओं को धर्माभिमुख किया है. * जिन्होंने जिनशासन के गौरव में चार चांद लगा दिये है. जो मानव मात्र के उपकार हेतु सतत प्रयासरत हैं. * जो जैन-दर्शन व प्राच्य विद्या के क्षेत्र में अवगाहन करने वालों के लिए रत्नाकर तुल्य हैं. * जिनकी सत्प्रेरणा से श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र की स्थापना हुई है. * आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा जिनकी अमरकृति है. जो भारतीय प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षक हैं. * जो जिनभक्ति व शासनप्रभावना के प्रति पूर्ण समर्पित हैं. * जो वात्सल्य, करुणा, दया और प्रेम की प्रतिमूर्ति हैं. सांसारिक जीवन : जन्म : १० सितम्बर सन् १९३५, जन्म स्थान : अजीमगंज, पश्चिम बंगाल पिता का नाम : श्री रामस्वरूपसिंहजी माता का नाम : श्रीमती भवानीदेवी बचपन का नाम : प्रेमचन्द/लब्धिचन्द्र YNONO जो अनन्त ज्ञानादि गुणों से युक्त हैं और वर्णादि गुणों से रहित हैं उन आचार्यों को भावभरी वंदना, DAIL कसौजन्य श्रीमती रसीलाबेन अरविंदभाई शाह, मुंबई 12
SR No.525262
Book TitleShrutsagar Ank 2007 03 012
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoj Jain
PublisherShree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages175
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size32 MB
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