SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३६ www.kobatirth.org गांव तो चलने से ही आएगा, पूछने से नहीं Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुत सागर, भाद्रपद २०५९ & आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी अनंत उपकारी अरिहंत परमात्मा ने मृत्यु के माध्यम से जीवन का परिचय दिया. जीवन नश्वर है, क्षणभंगूर है. अप्रमत्त अवस्था से हमें जीवन को संपूर्णतया जागृत करना है. मेक कई जगह पर चौकीदार के तरीके से कुत्ता रखा जाता है. कुत्ता एक वफादार प्राणी है. मालिक की रोटी खाता है और हमेशा मालिक की रक्षा करता है. अगर कोई चोर आ जाये तो भौंकना शुरु करता है, और भौंकता ही रहता है, जब तक मालिक जागे नहीं. हम साधु भी समाज के चौकीदार हैं. समाज से हमारा पोषण होता है. जीवन एक मकान है. इस मकान के मालिक आत्माराम सेठ हैं विषय विकारादि चोर जीवनरूपी मकान को लुटने के लिए आये हैं. इन चोरों से रक्षण करने के लिए प्रवचन के द्वारा हमें आत्माराम सेठ को जगाना है. अगर एक बार आत्माराम सेठ जागृत हो जाय तो फिर प्रवचन की कोई जरूरत नहीं. जागृत आत्मा स्वयं ही अपना रास्ता निकाल लेती है. . भगवान महावीर समाजवाद के एक महान पुरस्कर्ता थे. उनकी नजरों में किसी प्रकार का भेद भाव नहीं था. पापी हो या पुण्यशाली हो उनकी नजरों मे सब समान थे महावीर के समाजदाद में उच्चकोटी के लोगों को नीचे लाने का प्रयास नही था लेकिन नीचले स्तर के लोगों को उपर उठाने की भावना थी. उच्च स्तर के लोगों को नीचे लाने में समस्या खड़ी होगी और इस समस्या से संघर्ष का निर्माण होगा. प्रेम-भाव से प्रवचन का श्रवण हो जाय तो अंतरात्मा में पवित्रता आती है, अगर एक बार मन में पवित्रता आ जाय, तो फिर पूर्णता आने में देर नहीं लगती. ज्वालामय यह संसार ज्योतिर्मय बन जाऐगा. आपका जीवन ऐसा होना चाहिए कि उससे दूसरों को भी प्रेरणा मिले. साधु का जीवन सूपडे (सूप) जैसा होता है. सूपडे की विशेषता होती है सूपडा अनाज से कचरा बाहर फेंक देता है और अच्छे अनाज को अपने अंदर रखता है, साधु भी अपने जीवन से विकारों को बाहर फेंक देते हैं और आत्मा के गुणों को अपने अंदर रखते हैं तथा साधना के द्वारा उन गुणों का पोषण करते हैं. अगर आप विचार करेंगे तो आपको मालुम पडेगा कि आपका जीवन चालनी जैसा बन गया है. गुणों को आप बाहर फेंक रहे हो और दुर्गुणों का कचरा अन्दर भर रहे हो. भोजन से पेट भरता है लेकिन प्रोटीन से शक्ति प्राप्त होती है. दुर्विचार में जीवन की बरबादी है. दुर्विचार को छोड़ कर स्वयं में स्व को खोजने का प्रयास करो, पुरुषार्थ करो. आप को जगाने के लिये प्रवचन दिया जाता है. कभी कभी ऐसा कहा जाता है कि प्रवचन में पैसेदार को प्रथम स्थान दिया जाता है. ऐसा भेद-भाव क्यों किया जाता है ? किसी क्वालीफाईड डॉक्टर के यहाँ आप जाऐंगे तो लाईन में खड़ा रहना पड़ता है. एक के बाद एक पेशंट की जाँच की जाती है. अगर उस वक्त कोई सीरियस अस्वस्थ मरीज आ जाय तो क्या उसको लाईन में खड़ा किया जाता है? नहीं. उसे तुरंत अंदर लिया जाता है और तुरंत ईलाज शुरु कर दिया जाता है. यह उपाश्रय भी एक हॉस्पिटल है. यहाँ रहनेवाले निर्ग्रथ त्यागी साधु इस हॉस्पीटल के क्वालीफाईड डॉक्टर्स होते हैं. प्रवचन में आनेवाला श्रोता पेशंट होते हैं. श्रीमंत व्यक्ति सीरीयस मरीज होते हैं, उनको आगे बिठाया जाता है. और उनके ऊपर सख्त ध्यान दिया जाता है. For Private and Personal Use Only जागृति में अगर आप श्रवण करेंगे तो श्रवण से समाधि प्राप्त होगी. बहुत से व्यक्ति प्रवचन को आते है, लेकिन घर का कोटा यहाँ पूरा कर लेते हैं. घर में घर की अशांति में
SR No.525261
Book TitleShrutsagar Ank 2003 09 011
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoj Jain, Balaji Ganorkar
PublisherShree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2003
Total Pages44
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy