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गाँव
- स्थान
१८
धुंभा
गोर
रमौन
११
दुमका
१५
श्रुत सागर, माघ २०५२ गांव कि. मी. दिनांक
कि.मी. दिनांक मुजफ्फरपुर २०-३-९६ मारवाड़ी धर्मशाला दि. घर वड़ियारपुर
१७ १७-६-९६
इ. ब. रे. स्टे. रामपुरहरी
२१-३-९६ हाईस्कूल सुलतानगंज
१८-६-९६
इ. ब. रे. स्ट्रे. रून्नि २२-३-९६ अंबर चरखा विद्यालय | तिलकपुर
१९-६-९६
दुर्गामंदिर २२-३-९६ संस्कृत विद्यालय चंपापुरी तीर्थ
२०-६-९६ से सीतामढी
२३-३-९६ अग्रवाल के घर
३०-६-९६
धर्मशाला सभाससोल १८ २४-३-९६ स्कूल | भागलपुर
३०-६-९६ से २५-३-९६ स्कूल
६-७-९६
जैन मंदिर उपाश्रय लेकहा ११ २६-३-९६ स्कूल, नेपाल सीमा प्रारम्भ फुलवरिया
६-७-९६ टीचर ट्रेनिंग कॉलेज चिमडाहा २७-३-९६ रामचरितसिंह कामह
७-७-९६
पंचायती मकान वरियापुर २७-३-९६ मड़ रक्सौल हि. अंतिम रे. स्टेश. | मसुदनपुर(नवटोलिया)
८-७-९६ वीरगंज २८-३-९६ प्रेमचंद बोथरा ४५ घर बौंसी
८-७-९६
मारवाड़ी धर्मशाला जीतपुर
२९-३-९६ गौशाला रामपोखर
९-७-९६
डाक बंगला सीमरा २९-३-९६ विमानधर, वेईटींग रूम में | हंसडीहा
१०-७-९६ यहाँ से देवघर ४५ कि.मी. अमलेशगंज
३०-३-९६ मारवाड़ी के घर
एवं दुमका की ओर रोड .. काठमांडु तक पहाड़ी प्रदेश | नोनीहाट
११-७-९६ दुर्गाप्रसाद धर्मशाला-स्कूल रोईसेसचोकी
३१-३-९६ चोकी में बाराप्लासी
१२-७-९६
स्कूल हटोडा ११ १-४-९६ मारवाड़ी के ४ घर - चेनराजजी | महरो
१२-७-९६
स्कूल भैसिया १०२-४-९६
१३-७-९६ मारवाड़ी धर्मशाला भीमफेरी
३-४-९६ ८१२६ फूट की चढ़ाई भीम- | कुरवा हीडवाकी शादी काडीजुड़ाया
१३-७-९६ गाँव से एक कि.मी.दूर स्कूल कुलखानी ३-४-९६ धर्मशाला - १२० कि.मी. का | सिकारीपाड़ा
१४-७-९६ १२कि.मी.की घाटी का जंगल त्रिभुवन पथ सरसडागा
१५-७-९६ गोपाल चंद जी शाह का घर चितलांग ४-४-९६ धर्मशाला-बीच में चेकींग कड़ाइ | मुकुन्दपल्ली
१६-७-९६ बिहार सीमा समाप्त : बंगाल से। (गढी में)
सीमा प्रारंभ थानकोट १० ५-४-९६ झरने और पहाड़ (हाथ से ही खेती) रामपुरहाट
१६-७-९६ घेवरचंदजी बोहरा स्टेट बैंक के कालीमाटी १० ६-४-९६ आठवीं सदी में भद्रबाहु स्वामिध्यान
पास काठमांडु ७-४-९६ से
नलहटी
१७-७-९६ हनुमान मंदिर शामप्रसाद भगत २६-५-९६ नूतन मंदिर -उपाश्रय सागरदीघी
१९-७-९६ मुकुलचंद एसो. एजेन्टवाले २७-५-९६
अजीमगंज स्टे०
२०-७-९६
मंदिर-उपाश्रय भक्तपुर २७-५-९६
अजीमगंज
चातुर्मास प्रवेश २१-७-९६ को होगा । बनेपा २८-५-९६
विहार के अंतर्गत कार्यक्रम पनौती
२८-५-९६ मंगलपुर
१५-११-९५ भवानी पुर (कलकत्ता) से प्रस्थान १८ २९-५-९६ खल्तेचनपुर ३०-५-९६
०१-१२-९५ मल्लिकफाटक-हावड़ा में अं० प्रतिष्ठा ढल्काबार ३१-५-९६
२०-१२-९५ धनबाद से शिखरजी छारी पालित संघ प्रयाण महेन्द्रनगर
१-६-९६
.रे. हा. २५-१२-९५ सम्मेतशिखरजी में संघ प्रवेश . जनकपुर
१-६-९६
रे. स्टे. रे. हा. २७-१२-९५ सम्मेतशिखरजी में माला परिधान जयनगर २० २-६-९६
रे.स्टे. २९-१२-९५ मद्रास से सम्मेतशिखरजी संघ स्पेश्यल ट्रेईन संघ की माला परिधान खजौली
३-६-९६
रे. स्टे. .रे. हा. २५-१-९६ भोमियाजी भवन में अंजनशलाका ४-६-९६
२६-१-९६ श्री जैन श्वे० कोठी में प्रतिष्ठा सकरी
५-६-९६ डा. ब. रे. हा. रि. रू.
२३-२-९६ कुण्डलपुर(नालन्दा)में प्रतिष्ठा दरभंगा
६-६-९६
रे. स्टे.
२५-४-९६ काठमाण्डु में नूतन जिन मंदिर में प्रतिष्ठा लहेरियासराय ६-६-९६
२१-०७-९६ अजीमगंज(मुर्शिदावाद) में भव्य चातुर्मास प्रवेश समस्तीपुर
७-६-९६
डा. ब. इ. ब. रि. रू दलसिंगसराय २१ ८-६-९६
पृष्ठ ६ का शेष] इतिहास के झरोखे से तेघरा १२ ९-६-९६
रि. रू. इ.व.
२. शरणागतवज्रपंजर, ३.विचारचतुर्मुख, ४. परमार्हत, ५. राजर्षि, ६. प्राणदाता, वरौनी १०-६-९६
७. मेघवाहन आदि अनेक उपाधियाँ धारण की. संघभक्ति, साधर्मी वात्सल्य, हाथीदह ११-६-९६
त्रिकालपूजा, उभयकाल आवश्यक, पर्वदिनों में पौषध, जिनशासन की प्रभावना, दीनों बड़हिया १२-६-९६
का उद्धार, शास्त्र-श्रवण, गुरू-सेवा आदि अनेक पुण्यकार्य करके अपनी आत्मा को लखीसराय १३-६-९६
| सद्गति प्राप्त कराया. सूर्यगढा १४-६-९६
सत्त्वानुकम्पा न महीभुजां स्यादित्येष क्लृप्तो वितथः प्रवादः । शिवकुण्ड १५-६-९६
जिनेन्द्रधर्म प्रतिपद्य येन, श्लाघ्यः स केषां न कुमारपालः ।। १६-६-९६ डा. ब. स.हा. र.हा. ||"राजाओं के हृदय में जीवदया का भाव नहीं रहता है" यह लोकोक्ति व्यर्थ है. जिन्होंने
मेडिकल एशोसियसन होकर किया कमारपाल
लन || जैन धर्म अंगीकार किया है, कुमारपाल किसके द्वारा स्तुत्य नहीं हैं? .
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