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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गाँव - स्थान १८ धुंभा गोर रमौन ११ दुमका १५ श्रुत सागर, माघ २०५२ गांव कि. मी. दिनांक कि.मी. दिनांक मुजफ्फरपुर २०-३-९६ मारवाड़ी धर्मशाला दि. घर वड़ियारपुर १७ १७-६-९६ इ. ब. रे. स्टे. रामपुरहरी २१-३-९६ हाईस्कूल सुलतानगंज १८-६-९६ इ. ब. रे. स्ट्रे. रून्नि २२-३-९६ अंबर चरखा विद्यालय | तिलकपुर १९-६-९६ दुर्गामंदिर २२-३-९६ संस्कृत विद्यालय चंपापुरी तीर्थ २०-६-९६ से सीतामढी २३-३-९६ अग्रवाल के घर ३०-६-९६ धर्मशाला सभाससोल १८ २४-३-९६ स्कूल | भागलपुर ३०-६-९६ से २५-३-९६ स्कूल ६-७-९६ जैन मंदिर उपाश्रय लेकहा ११ २६-३-९६ स्कूल, नेपाल सीमा प्रारम्भ फुलवरिया ६-७-९६ टीचर ट्रेनिंग कॉलेज चिमडाहा २७-३-९६ रामचरितसिंह कामह ७-७-९६ पंचायती मकान वरियापुर २७-३-९६ मड़ रक्सौल हि. अंतिम रे. स्टेश. | मसुदनपुर(नवटोलिया) ८-७-९६ वीरगंज २८-३-९६ प्रेमचंद बोथरा ४५ घर बौंसी ८-७-९६ मारवाड़ी धर्मशाला जीतपुर २९-३-९६ गौशाला रामपोखर ९-७-९६ डाक बंगला सीमरा २९-३-९६ विमानधर, वेईटींग रूम में | हंसडीहा १०-७-९६ यहाँ से देवघर ४५ कि.मी. अमलेशगंज ३०-३-९६ मारवाड़ी के घर एवं दुमका की ओर रोड .. काठमांडु तक पहाड़ी प्रदेश | नोनीहाट ११-७-९६ दुर्गाप्रसाद धर्मशाला-स्कूल रोईसेसचोकी ३१-३-९६ चोकी में बाराप्लासी १२-७-९६ स्कूल हटोडा ११ १-४-९६ मारवाड़ी के ४ घर - चेनराजजी | महरो १२-७-९६ स्कूल भैसिया १०२-४-९६ १३-७-९६ मारवाड़ी धर्मशाला भीमफेरी ३-४-९६ ८१२६ फूट की चढ़ाई भीम- | कुरवा हीडवाकी शादी काडीजुड़ाया १३-७-९६ गाँव से एक कि.मी.दूर स्कूल कुलखानी ३-४-९६ धर्मशाला - १२० कि.मी. का | सिकारीपाड़ा १४-७-९६ १२कि.मी.की घाटी का जंगल त्रिभुवन पथ सरसडागा १५-७-९६ गोपाल चंद जी शाह का घर चितलांग ४-४-९६ धर्मशाला-बीच में चेकींग कड़ाइ | मुकुन्दपल्ली १६-७-९६ बिहार सीमा समाप्त : बंगाल से। (गढी में) सीमा प्रारंभ थानकोट १० ५-४-९६ झरने और पहाड़ (हाथ से ही खेती) रामपुरहाट १६-७-९६ घेवरचंदजी बोहरा स्टेट बैंक के कालीमाटी १० ६-४-९६ आठवीं सदी में भद्रबाहु स्वामिध्यान पास काठमांडु ७-४-९६ से नलहटी १७-७-९६ हनुमान मंदिर शामप्रसाद भगत २६-५-९६ नूतन मंदिर -उपाश्रय सागरदीघी १९-७-९६ मुकुलचंद एसो. एजेन्टवाले २७-५-९६ अजीमगंज स्टे० २०-७-९६ मंदिर-उपाश्रय भक्तपुर २७-५-९६ अजीमगंज चातुर्मास प्रवेश २१-७-९६ को होगा । बनेपा २८-५-९६ विहार के अंतर्गत कार्यक्रम पनौती २८-५-९६ मंगलपुर १५-११-९५ भवानी पुर (कलकत्ता) से प्रस्थान १८ २९-५-९६ खल्तेचनपुर ३०-५-९६ ०१-१२-९५ मल्लिकफाटक-हावड़ा में अं० प्रतिष्ठा ढल्काबार ३१-५-९६ २०-१२-९५ धनबाद से शिखरजी छारी पालित संघ प्रयाण महेन्द्रनगर १-६-९६ .रे. हा. २५-१२-९५ सम्मेतशिखरजी में संघ प्रवेश . जनकपुर १-६-९६ रे. स्टे. रे. हा. २७-१२-९५ सम्मेतशिखरजी में माला परिधान जयनगर २० २-६-९६ रे.स्टे. २९-१२-९५ मद्रास से सम्मेतशिखरजी संघ स्पेश्यल ट्रेईन संघ की माला परिधान खजौली ३-६-९६ रे. स्टे. .रे. हा. २५-१-९६ भोमियाजी भवन में अंजनशलाका ४-६-९६ २६-१-९६ श्री जैन श्वे० कोठी में प्रतिष्ठा सकरी ५-६-९६ डा. ब. रे. हा. रि. रू. २३-२-९६ कुण्डलपुर(नालन्दा)में प्रतिष्ठा दरभंगा ६-६-९६ रे. स्टे. २५-४-९६ काठमाण्डु में नूतन जिन मंदिर में प्रतिष्ठा लहेरियासराय ६-६-९६ २१-०७-९६ अजीमगंज(मुर्शिदावाद) में भव्य चातुर्मास प्रवेश समस्तीपुर ७-६-९६ डा. ब. इ. ब. रि. रू दलसिंगसराय २१ ८-६-९६ पृष्ठ ६ का शेष] इतिहास के झरोखे से तेघरा १२ ९-६-९६ रि. रू. इ.व. २. शरणागतवज्रपंजर, ३.विचारचतुर्मुख, ४. परमार्हत, ५. राजर्षि, ६. प्राणदाता, वरौनी १०-६-९६ ७. मेघवाहन आदि अनेक उपाधियाँ धारण की. संघभक्ति, साधर्मी वात्सल्य, हाथीदह ११-६-९६ त्रिकालपूजा, उभयकाल आवश्यक, पर्वदिनों में पौषध, जिनशासन की प्रभावना, दीनों बड़हिया १२-६-९६ का उद्धार, शास्त्र-श्रवण, गुरू-सेवा आदि अनेक पुण्यकार्य करके अपनी आत्मा को लखीसराय १३-६-९६ | सद्गति प्राप्त कराया. सूर्यगढा १४-६-९६ सत्त्वानुकम्पा न महीभुजां स्यादित्येष क्लृप्तो वितथः प्रवादः । शिवकुण्ड १५-६-९६ जिनेन्द्रधर्म प्रतिपद्य येन, श्लाघ्यः स केषां न कुमारपालः ।। १६-६-९६ डा. ब. स.हा. र.हा. ||"राजाओं के हृदय में जीवदया का भाव नहीं रहता है" यह लोकोक्ति व्यर्थ है. जिन्होंने मेडिकल एशोसियसन होकर किया कमारपाल लन || जैन धर्म अंगीकार किया है, कुमारपाल किसके द्वारा स्तुत्य नहीं हैं? . हिमी १२ १८ मधुबनी १९ काशष] ११ १९ AA to ni २० मुंगेर For Private and Personal Use Only
SR No.525252
Book TitleShrutsagar Ank 1996 01 002
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoj Jain, Balaji Ganorkar
PublisherShree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year1996
Total Pages8
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size1 MB
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