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________________ गाहा : अह कइवय-दिवसेहिं संजाया सत्थ-देहिया मणयं । अन्नम्मि दिणे नीया तीए हं कुलवइ-समीवे ।। २५।। संस्कृत छाया : अथ कतिपयदिवसः सजाता स्वस्थदेहिका मनाक् । अन्यस्मिन् दिने नीता, तयाऽहं कुलपतिसमीपे ।। २५।। गुजराती अनुवाद : हवे केटलाक दिवसो बाद माझं शरीर थोडं स्वस्थ थयुं-पछी कोईक एक दिवसे ते तापसी मने कुलपति पासे लइ गइ. हिन्दी अनुवाद : कितने दिनों बाद मेरा शरीर थोड़ा स्वस्थ हुआ। कुछ दिनों बाद वह तपस्विनी मुझे अपने कुलपति के पास ले गयी। गाहा :तीएवि पुव्व-भणिओ वुत्तंतो साहिओ कुलवइस्स । करुणा-परेण तेणवि अणुसट्ठा महुर-वयणेहिं ।।२६।। संस्कृत छाया : तयाऽपि पूर्वभणितो वृत्तान्तः कथितः कुलपतेः । करुणापरेण तेनापि, अनुशिष्टा मधुरवचनैः ।।२६।। गुजराती अनुवाद : कुलपति नो उपदेश तापसीस पूर्वोक्त वृत्तांत कुलपतिने जणाव्यो. हवे करुणामां तत्पर स्वा ते कुलपतिर मधुर वचनो वडे मने समजाव्यु, हिन्दी अनुवाद : कुलपति का उपदेशतपस्वी ने मेरा सारा वृत्तान्त कुलपति को बताया। उस करुणा से ओत-प्रोत कुलपति ने मधुर वचनों से मुझे समझाया। गाहा : वच्छे! इह संसारे सुलहाई एरिसाइं दुक्खाई। , . अकयम्मि सुह-निमित्ते धम्मे परलोय-बंधुम्मि ।।२७।।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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