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________________ हिन्दी अनुवाद : चित्रपट में बनाए चित्र के दर्शन से सखीजनों को आनन्द हुआ तो अमृत समान वह कुमार तो प्रत्यक्ष दर्शनीय है। गाहा : विहसिय पियंवयाए भणियं मा सहि ! समुच्छुगा होसु । विज्जाओ ताव साहउ पच्छा सव्वं करिस्सामो ।। २४२ ।। संस्कृत छाया : विहस्य प्रियंवदया भणितं मा सखि ! समुत्सुका भव । विद्यास्तावत् साधयतु पश्चात् सर्वं करिष्यामः ।। २४२ । । गुजराती अनुवाद : प्रियंवदार हसीने कां- हे सखि ! तुं उत्सुक न था! हमणा तेने विद्या साधवा दो, पछी सर्व कार्य सिद्ध करीशु. हिन्दी अनुवाद : प्रियंवदा ने हँसकर कहा, 'हे सखी? तुम उत्सुक मत हो । अभी उसे विद्या साधने दो, बाद में सारे कार्य सिद्ध करेंगे। गाहा : अविय । जइ ताव कावि हु अहं ताऽवस्सं तस्स संगमेण सुहं । कायव्वं भगिणीए अणुकूलो जइ विही होही ।। २४३।। संस्कृत छाया : अपि च । यदि तावत् काऽपि खल्वहं तर्हि अवश्यं तस्य सङ्गमेन सुखम् । कर्तव्यं भगिन्याऽनुकूलो यदि विधिर्भविष्यति ।। २४३।। गुजराती अनुवाद : वळी जो त्यारबाद भाग्य अनुकूल हशे तो अवश्य तेना समागम बड़े भगिनी ने सुखी करीश. हिन्दी अनुवाद : यदि इसके बाद भाग्य अनुकूल होगा तो अवश्य उसके मिलन से बहन को सुखी करूंगी।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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