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________________ हिन्दी अनुवाद : . वह मकरकेतु मुझे बहुत प्रिय है। क्षण भर के लिए भी मैं उसका वियोग सहन नहीं कर पाती। अभी मेरे पिता ने उसे विद्या दी है। गाहा :विज्जाण साहणत्थं पसत्त-खित्तम्मि सो गओ विजणे । जह-भणिय-विहाणेणं साहइ सो तत्थ विज्जाओ ।। २०१।। संस्कृत छाया :विद्यानां साधनाथ प्रशस्तक्षेत्रे स गतो विजने । यथामणितविधानेन साधयति स तत्र विद्याः ।।२०१।। गुजराती अनुवाद : विद्याओ साधवा माटे पवित्र क्षेत्रमा ते एकांत मां गयो छे त्यां ते शास्त्रोक्त विधि प्रमाणे विद्याओ साधे छे. हिन्दी अनुवाद : - विद्या को साधने के लिए वह एकान्त स्थान में गया है। वहाँ वह शास्त्रोक्त विधि के अनुसार विद्या की साधना कर रहा है। गाहा : वट्टइ बीओ मासो विज्जाओ तस्स साहयंतस्स । अहमवि तस्स विओगे तरामि नो जाव अच्छेउं ।।२०२।। संस्कृत छाया :वर्तते द्वितीयो मासो विद्यास्तस्य साधयतः । अहमपि तस्य वियोगे शक्नोमि नो यावदासितम् ।।२०२।। गुजराती अनुवाद : विद्या साधतां तेने चीजो महिनो चाले छे हुँ पण तेना वियोग मां रहेवा समर्थ न बनी! हिन्दी अनुवाद : - विद्या साधते उसका दूसरा महीना है। मैं उसके वियोग में रहने में समर्थ नहीं हो पायी।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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