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________________ संस्कृत छाया :विद्याधरवरचक्री राजा तत्रास्ति चित्रवेग इति । राजा च भानुवेगोऽस्ति पुरे कुञ्जरावर्ते ।।१९६।। गुजराती अनुवाद : 'त्यां विद्याधरो नो चक्रवर्ती चित्रवेग नाम नो राजा छे. अने कुंजयरावर्तमां भानुवेग नामनो राजा छे.. हिन्दी अनुवाद : _ वहाँ विद्याधरों का चक्रवर्ती चित्रवेग नाम' का राजा है और कुंजरावर्त में भानुवेग नाम का राजा है। गाहा : तस्स य दो भगिणीओ सहोयराओ य अईव इट्ठाओ। पढमा ओ बंधुदत्ता रयणवई नाम बीया उ ।। १९७।। संस्कृत छाया :तस्य च द्वे भगिन्यौ सहोदरे चातीवेष्टे । प्रथमा ओ ! बन्युदत्ता रलवती नाम द्वितीया तु ।।१९७।। गुजराती अनुवाद :___ "भानुवेग ने चे सगी बहेनो छे, तेने ते बहेनो अतीव प्रिय छे. तेमां स्क - नाम बंधुदत्ता अने बीजी नु नाम रत्नवती छे.'' हिन्दी अनुवाद :____ भानुवेग की दो सगी बहने हैं। उन्हें वे बहनें बहुत प्रिय हैं, उनमें एक का नाम बंधुदत्ता और दूसरी का नाम रत्नवती है। गाहा : सा सुयणु! बंधुदत्ता परिणीया चित्तवेग-नरवडणा। तीए धूया अहयं नामं च पियंवया मज्झ ।।१९८।। संस्कृत छाया : सा सुतनो ! बन्युदत्ता परिणीता चित्रवेगनरपतिना । तस्या दुहिताऽहं नाम च प्रियंवदा मम ।।१९।।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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