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________________ संस्कृत छाया : अथ सैवं भणिता गुरुशोका साध्वसेनाऽभिभूता । उन्मुक्तदीर्घश्वासा न किञ्चित् प्रत्युत्तरं ददाति ।।१३९।। . गुजराती अनुवाद : ___ आ प्रमाणे राजाना कहेवाथी अत्यंत शोकमां गरकाव थयेली, बहु भय वड़े पीडायेली ते बालार मोटो निःश्वास मूक्यो परंतु कंइपण बोली शकी नहि. हिन्दी अनुवाद : राजा के ऐसा कहने पर अत्यन्त शोक सन्तप्त और भययुक्त वह बालिका एक लम्बी श्वास छोड़ी किन्तु कुछ बोल नहीं पायी। गाहा : अह पुणरुत्तं रन्ना पुट्ठाए तीए कहवि संलत्तं । ताय! चएमि न वोत्तुं बहु-दुक्खं नियय-वुत्तंतं ।। १४०।। संस्कृत छाया : अथ पुनरुक्तं राज्ञा पृष्टया तया कथमपि संलपितम् । तात ! शक्नोमि न वक्तुं बहुदुःखं निजवृत्तान्तम् ।।१४०।। गुजराती अनुवाद : त्यारबाद फरी राजार पूछयु- स्टले बहकष्टथी ते बोली हे तात! बहु दुःखमय स्वो आटो वृत्तांत कहेवा हुं समर्थ नथी. हिन्दी अनुवाद : उसके बाद जब राजा ने पुन: पूछा तो बड़े कष्ट के साथ उसने कहा, 'हे तात! बहुत दु:खमय है हमारा वृत्तान्त, जिसे मैं कहने में समर्थ नहीं हैं। गाहा : तहवि हु अलंघणीया आणा तायस्स तेंण साहेमि । जंबुद्दीवे भरहे कुसग्गनयरम्मि नामेण ।।१४१।। संस्कृत छाया : तथापि खल्वलधनीयाऽऽज्ञा तातस्य तेन कथयामि ।। जम्बूद्वीपे भरते कुशाप्रनगरे नाम्ना ।।१४१।।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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