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४९.
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50 : श्रमण, वर्ष 67, अंक 1, जनवरी-मार्च, 2016 ४२. बृहद्देवता, २.६५
ऋग्वेद, १०,१८९.२ ४४. प्रश्नोपनिषद्, १.५-६
तैत्तिरीय आरण्यक, १.२३.२ ४६. वही,१.२४, ४-५
कूष्माण्ड ब्राह्मण, २.७ ४८. भागवत, ५.३.२०
ऋग्वेद, ७.५६.८ ऋग्वेद, ८.१७.४
ताण्ड्य ब्राह्मण, १०.१४.४७ ५२. ऐतरेय आरण्यक, २.२०.१
बृहदारण्यक उपनिषद् ३.५.१ वेदान्तसूत्र, ३.४.४७ पर शांकरभाष्य
बृहदारण्यक उपनिषद्, ४.४.२२ ५६. मेक्डोनल-कीथ, वैदिक इण्डेक्स, खण्ड २, पृ १५०
ऋग्वेद, १०.७२.७ वही, ८.३.९
वही, ८.६.१८ ६०. शतपथब्राह्मण, ११.६.१.१ ६१. ऋग्वेद पर सायण भाष्य, ८.३.९; ५.४५.७
तैत्तिरीयसंहिता, २.५.५.१.१ ६३. बृहदारण्यक उपनिषद्, ४.४.१-२ ६४. ऋग्वेद, १.१.६४.३२ ६५. निरुक्त २.२८ ६६.
दीघनिकाय, १.११४ ६७. अंगुत्तर निकाय पृ. ४६८-६९ ६८.
कल्पसूत्र- २९ ६९. उत्तराध्ययन, २५.१८
वही, २५.१९-२९ ७१. वही, २५.३२
वही, २५.३१ ७३. समयसार (आत्मख्याति टीका) -१५१
चारित्रसार, कुन्दकुन्द, ४६.५ ७५. रयणसार, कुन्दकुन्द, ९९
५८.
५९.
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