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________________ गुजराती अनुवाद १७७ आ प्रमाणे विस्मित हृदयवाली हूं वारंवार पृथ्वीने जोती हती त्यारे पर्वत-वृक्षो आदि पण साथे जतां हूं जोती हती. हिन्दी अनुवाद इस प्रकार विस्मित हृदयवाली मैं बार-बार पृथ्वी को देखती रही तथा साथसाथ जाते पहाड़ और वृक्षों को भी देखती रही। गाहा अविय। 20 गागिणी अरण्णे महिला बीहिज्ज अडवी - मज्झम्मि । इय कलिउंव सहाया तरुणो वेगेण धावंति ।। १७८ ।। संस्कृत छाया अपि च ।। एकाकिनी अरण्ये महिला बिभीयात् अटवीमध्ये | इति कलयित्वेव सहायास्तरवो वेगेन धावन्ति ।। १७८ ।। गुजराती अनुवाद १७८. अने वळी, जंगलमां रहेली एकली महिला जंगलनी वच्चे डरे एम समजीने ज जाणे वृक्षो वेगथी दोडता हता. हिन्दी अनुवाद और जंगल में रही अकेली स्त्री जंगल के बीच में होने के कारण डरी हुई है, ऐसा समझकर जैसे वृक्ष तेजी से दौड़ रहे थे। गाहा-. किडिय - नयर - समाई चलंत- मणुयाइं गाम- नयराई । जल - भरिय - सर - वराइंवि (पि?) महि - निवडिय - छत्त सरिसाई । १७९ दीहर-वण- राईओ सप्प- सरिच्छाओ सच्चविज्जंति । पालि- सरिच्छा गिरिणो सारणि- सरिसाओ सरियाओ ।। १८० ।। संस्कृत छाया कीटकानगरसमानि चलन्मनुजानि ग्रामनगराणि । जलभृतसरोवराण्यपि महीनिपतितछत्रसदृशानि ।। १७९ ।।
SR No.525092
Book TitleSramana 2015 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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