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12 : श्रमण, वर्ष 66, अंक 1, जनवरी-मार्च 2015 १. इच्छापूर्ति स्वप्न - व्यक्ति बहुत से स्वप्न देखता है, जिनसे उसकी अतृप्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। कुछ मनोवैज्ञानिकों का मत है कि सभी प्रकार के स्वप्न किसी न किसी रूप में इच्छापूर्ति के साधन होते हैं। अत: जिन स्वप्नों से स्वप्नकर्ता की इच्छाओं की पूर्ति होती है, वे इच्छापूर्ति स्वप्न कहलाते हैं। २. चिन्तास्वप्न इन स्वप्नों के माध्यम से स्वप्नद्रष्टा की किसी न किसी चिन्ता की अभिव्यक्ति होती है, ऐसे स्वप्नों को चिन्तास्वप्न कहते हैं। ऐसे स्वप्नों को देखकर स्वप्नद्रष्टा पसीने-पसीने हो सकता है, उसकी नींद टूट सकती है तथा बैचेनी अनुभव कर सकता है। ३. प्रतिरोध स्वप्न - इन स्वप्नों में व्यक्ति सामाजिक नियमों के विरुद्ध, अपने दुश्मनों के विरुद्ध अथवा किसी नियम या व्यक्ति का विरोध करते हुए स्वप्न देखता है, ऐसे स्वप्न प्रतिरोध स्वप्न कहलाते हैं। ४. दण्ड स्वप्न ऐसे स्वप्न जिनमें व्यक्ति अपने आपको दण्ड या कष्ट पाता हुआ देखता है, वे दण्ड स्वप्न कहलाते हैं। इनमें स्वप्नद्रष्टा अपने आपको पिटता या दूसरों द्वारा परेशान होता हुआ देख सकता है। ५. भविष्य स्वप्न इन स्वप्नों का सम्बन्ध स्वप्नद्रष्टा के अनुभवों से होता है। ऐसे स्वप्नों में व्यक्ति यह देख सकता है कि उसके घर मेहमान आने वाले हैं, बच्चा होने वाला है अथवा उसके व्यापार या नौकरी में तरक्की हो रही और वह बड़ा आदमी बनता जा रहा है। ऐसे स्वप्न भविष्य स्वप्न कहलाते हैं। ६. गति स्वप्न जब स्वप्नों में व्यक्ति अपने आपको गति करता हुआ देखता है, तो ऐसे स्वप्न गति स्वप्न कहलाते हैं। ऐसे स्वप्नों में व्यक्ति अपने आपको खेलता, दौड़ता, भागता और तैरता हुआ देखता है।