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जैन जगत्
'संस्कृत वाङ्मय के विकास में जैन परम्परा का अवदान' विषयक त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन
संस्कृत साहित्य की समृद्धि में जैन परम्परा के बहुमूल्य योगदान के मूल्यांकन हेतु दिल्ली स्थित भोगीलाल लहेरचन्द इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डोलॉजी एवं दिल्ली संस्कृत अकादमी, दिल्ली सरकार के संयुक्त तत्त्वावधान में विजय वल्लभ स्मारक जैन मन्दिर परिसर में स्थित भोगीलाल लहेरचन्द इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डोलॉजी संस्थान में दिनांक २७ मार्च से २९ मार्च २०१५ तक आयोजित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न हुई, जिसमें सम्पूर्ण देश तथा दिल्ली प्रदेश से समागत उच्चकोटि के पचास विद्वानों ने चौदह सत्रों में अपने मौलिक शोध आलेख प्रस्तुत किये।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में जैन आचार्यों एवं विद्वानों द्वारा रचित विशाल संस्कृत जैन वाङ्मय के काव्य, महाकाव्य, छन्द, व्याकरण, कोश, गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद, अध्यात्म, तत्त्वज्ञान, दर्शन, वास्तु तथा ज्ञानविज्ञान और कलाओं की विविध विधाओं में उपलब्ध समृद्ध संस्कृत जैन साहित्य के विभिन्न पक्षों पर गम्भीर चर्चाएँ हुई और सभी विद्वानों ने यह स्वीकार किया कि संस्कृत का जैन साहित्य इतना समृद्ध होते हुए भी अब तक उपेक्षित क्यों है? इसके यथार्थ मूल्यांकन एवं विकास हेतु सरकारी एवं सामाजिक स्तर पर प्रयास होना आवश्यक है।
डॉ० दिलीप धींग आचार्य हस्ती अहिंसा अवार्ड से सम्मानित :
आर०सी० बाफना फाउण्डेशन, जलगाँव (महाराष्ट्र) की ओर से अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन व शोध केन्द्र, चेन्नई के निदेशक साहित्यकार डॉ० दिलीप धींग को 'आचार्य हस्ती अहिंसा अवार्ड' से नवाजा गया। १ मार्च २०१५ को अहिंसा तीर्थ में आयोजित समारोह में उद्योगपति मोफतराज