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________________ 26 : श्रमण, वर्ष 65, अंक 3-4/जुलाई-दिसम्बर 2014 मरा हुआ जीव सौधर्म ईशान स्वर्ग के ऋतु (ऋजु) नामक इन्द्रक विमान में अथवा श्रेणीबद्ध विमान में उत्पन्न होता है। पीतलेश्या के मध्यम अंशों के साथ मरा हुआ जीव सौधर्म- ईशान स्वर्ग के दूसरे पटल के विमल नामक इन्द्रक विमान से लेकर सनत्कुमार-माहेन्द्र स्वर्ग के द्विचरम पटल के (अन्तिम पटल के पूर्व पटल के) बलभद्र नामक इन्द्रक विमान पर्यन्त उत्पन्न होता है। किण्हवरंसेण मुदा अवधिट्ठाणम्मि अवरअंस मुदा। पंचम चरिमतिमिस्से, मज्झे मज्झेण जायते ।।12 अर्थात् कृष्ण लेश्या के उत्कृष्ट अंशों के साथ मरे हुए जीव सातवीं पृथ्वी के अवधिस्थान नामक इन्द्रक बिल में उत्पन्न होते हैं। जघन्य अंशों के साथ मरे हुए जीव पांचवी पृथ्वी के अन्तिम पटल के तिमिश्रनामक इन्द्रक बिल में उत्पन्न होते हैं। कृष्ण लेश्या के मध्यम अंशो के साथ मरे हुए जीव दोनों के (सातवीं और पाँचवीं नरक पृथ्वी के) मध्य स्थानों में यथा सम्भव योग्यतानुसार उत्पन्न होते हैं। नीलुक्कस्ससमुदा पंचम अधिंदयम्मि अवरमुदा। बालुक संपज्जलिदे मज्झे मज्झेण जायते।।13 नीललेश्या के उत्कृष्ट अंशों के साथ मरे हुए जीव पाँचवीं पृथ्वी के द्विचरम पटल सम्बन्धी अन्ध्रनामक इन्द्रकबिल में उत्पन्न होते हैं। कोई-कोई पाँचवें पटल में भी उत्पन्न होते हैं। इतना विशेष और भी है कि कृष्णलेश्या के जघन्य अंशवाले जीव भी मरकर पाँचवीं पृथ्वी के अन्तिम पटल में उत्पन्न होते हैं। नीललेश्या के जघन्य अंश वाले जीव मरकर तीसरी पृथ्वी के अन्तिम पटल सम्बन्धी संप्रज्वलित नामक इन्द्रक बिल में उत्पन्न होते हैं। नीललेश्या के मध्यम अंशवाले जीव मरकर तीसरी पृथ्वी के संप्रज्वलित नामक इन्द्रक बिल के आगे और पाँचवी पृथ्वी के अन्ध्रनामक इन्द्रकबिल के पहले-पहले जितने पटल और इन्द्रक हैं इनमें यथायोग्य उत्पन्न होते हैं। वरकाओदं समुदा संजलिदं जांति तदियणिरयस्स। सीमंतं अवरमुदा मज्झे मज्झेण जायते।।
SR No.525089
Book TitleSramana 2014 07 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2014
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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