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________________ तीर्थंकर शान्तिनाथ का जीवन चरित-साहित्य, कला एवं भारतीय परम्परा की पृष्ठभूमि में शान्ति स्वरूप सिन्हा वर्तमान चौबीसी के १६वें तीङ्कर शान्तिनाथ का जीवन चरित अहिंसा और शान्ति की प्रभावना की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। सम्राट मेघरथ (शान्तिनाथ के दसवें पूर्वभव) के जीवन की 'कपोत कथा', महाभारत में शिवि कथा और बौद्ध शिवि जातक में भी किञ्चित् परिवर्तन के साथ इसी रूप में प्राप्त होती है। इसी कथा के अनुरूप दृश्यांकन कुम्भारिया के महावीर मन्दिर में उत्कीर्ण है। प्रस्तुत लेख साहित्यिक एवं पुरातत्त्विक तथ्यों के आधार पर यह दिखाने का प्रयास है कि तीर्थकर शान्तिनाथ के जीवन से सम्बन्धित यह प्रकरण राजधर्म, मानवधर्म, अहिंसा और शान्ति के व्यापक परिप्रेक्ष्य में भारतीय आदर्श मूल्यों की निरन्तरता और सर्वस्वीकृति का सूचक है। __ - सम्पादक भारतीय कला-इतिहास के अध्ययन में शास्त्र एवं पुरातत्त्व के संवाद की अहम भूमिका रही है। भारतीय इतिहास के अनेक अनुत्तरित प्रश्नों का समाधान और आगे के संशोधनों की सम्भावना की दृष्टि से शास्त्र और पुरातत्त्व का अन्तरावलम्बन और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है। शास्त्रों के अवगाहन से जहाँ एक ओर नवीन विचारधाराओं का जन्म होता है, वहीं दूसरी ओर शास्त्रों में उल्लिखित सन्दर्भो की पुष्टि कई बार पुरातात्त्विक प्रमाणों द्वारा ही सम्भव हुई है। प्रस्तुत शोध-पत्र में हमने निम्नलिखित तीन बिन्दुओं को आधार बनाया १. कैसे पूर्व परम्परा का कोई कथानक किसी परवर्ती कथानक का मूलस्वर बन जाता है, जिसमें भारतीय संस्कृति की मूल आत्मा निहित
SR No.525086
Book TitleSramana 2013 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2013
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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