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________________ 44 : श्रमण, वर्ष ६४, अंक ४ / अक्टूबर-दिसम्बर २०१३ विश्व कोश पार्श्वनाथ विद्यापीठ से २०११ में प्रकशित हुआ है। कला एवं स्थापत्य सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी चित्र सहित संग्रहीत है। इसके अतिरिक्त अनेक कोश हैं1. DICTIONARY OF JAIN TERMS by Prof. Mukul Raj Mehta 2. DICTIONARY OF JAIN TECHNICAL TERMS by Ac. Mahaprajna 3. GLOSSARY OF JAIN TERMS by Dr. N.L. Jain ४. अपभ्रंश- हिन्दी कोश - डॉ० नरेश कुमार ५. गुजराती विश्वकोश - धीरू भाई ठाकर ६. जैन ज्ञान महोदधि - त्रिभुवनदास। षष्ठ अध्याय : उपसंहार उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट होता है कि प्राची और अर्वाचीन विद्वानों ने साहित्य की अन्य विधाओं की भाँति कोश-निर्माण में भी विशेष रुचि दिखलाई है। जैन साहित्य अर्धमागधी, शौरसैनी, महाराष्ट्री आदि प्राचीन भाषाओं में उपलब्ध है, ये भाषायें आज अत्यन्त दुरूह हो गयी है। अतएव इस विपुल साहित्य को समझने के लिये कोशों की नितान्त उपयोगिता है। प्राचीन जैन कोशों के अवलोकन मात्र से यह बात भी उभर कर आ रही है कि यद्यपि जैन साहित्य प्राकृत में था किन्तु जैन परम्परा में प्राकृत कोशों की तुलना में संस्कृत कोशों की अधिकता है। आधुनिक काशों में हिन्दी, गुजराती और अग्रेजी में जैन कोश, विषय कोश, उदाहरण कोश आदि प्रस्तुत करने का प्रयोजन जैन अध्ययन में संलग्न छात्रों, शोधार्थियों और विद्वानों को सम्यक् आधार प्रदान करना है।
SR No.525086
Book TitleSramana 2013 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2013
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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