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________________ संस्कृत एवं अन्य भाषाओं के जैन कोशों का अध्ययन :39 ग्रन्थ डबल डिमाई आकार में ७ भागों में प्रकाशित है। इसे विश्व कोश माना जाता है। अर्धमागधी कोश - इस ग्रन्थ के प्रणेता मुनि रत्नचन्द्र हैं। पांच भाषाओं में होने के कारण इसे हम पंचभाषा कोश भी कह सकते हैं। यह कोश ३६०० पृष्ठों का है। इसमें ४९ ग्रन्थों से चुने हुये ५०,००० शब्दों का संग्रह किया गया है। पाइसहमहण्णवो - इसके प्रणेता पं० हरगोविन्ददास त्रिविक्रम सेन है। इस कोश को तैयार करने में ३०० ग्रन्थों की सहायता ली गयी। पुरातन जैन वाक्य सूची - इसके प्रणेता जैन विद्या के मर्धन्य विद्वान पं० जुगल किशोर मुख्तार है। इसमें ६४ मूल ग्रन्थों की सहायता ली गयी है। इसमें २५३५२ प्राकृत पद्यों की अनुक्रमणिका है। इसका प्रकाशन वीर सेवा मन्दिर, दिल्ली से सन् १९५० में हुआ है। अल्पपरिचित सैद्धान्तिक कोश - आगम ग्रंथों में उपलब्ध होने वाले ऐसे शब्द जो विद्यार्थी के लिए कठिन प्रतीत होते है उनका यहाँ विशेष संग्रह किया गया है इसका प्रकाशन वर्ष १९५२ है। जैनागम शब्द संग्रह - इसका दूसरा नाम अर्धमागधी- गुजराती कोश है। इसके कर्ता मुनि रत्नचन्द हैं। कोश में मूल शब्द अर्धमागधी में दिये गये हैं और गुजराती में उनके अर्थ दिये गये हैं। इसका समय सन् १९२६ है। आगमशब्द कोश - आगम शब्द कोश में मूलशब्दों को अकारादिक्रम में रखकर उनकी संस्कृत छाया दी गयी है। इस कोश का उद्देश्य है आगम में प्रयुक्त शब्दों का स्थान निर्देश करना। इस कोश में तीन प्रकार के शब्द उपलब्ध है, तत्सम, ८.
SR No.525086
Book TitleSramana 2013 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2013
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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