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________________ RESEAR 51 miling bng 'जैन विद्या: सिद्धान्त एवं व्यवहार' विषयक १५ दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन (२५ सितम्बर - ९ अक्टूबर २०१३): 53 Levin10glut दिनांक २५ सितम्बर २०१३ को १५ दिवसीय 'जैन विद्या: सिद्धान्त एवं व्यवहार' विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन सम्पन्न हुआ। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि जैन दर्शन के शीर्षस्थ विद्वान एवं का. हि. वि. वि वाराणसी के जैन-बौद्ध दर्शन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार जैन थे। इस समारोह की अध्यक्षता पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्रबन्ध समिति के सभापति डॉ. शुगन चन्द जैन ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. अशोक जैन ने कहा कि दूसरे दर्शनों में जो ब्रह्म की अवधारणा है वही जैन दर्शन में आत्मा की अवस्था है। आत्मा वैयक्तिक विकास की सम्भावनाओं से परिपूर्ण है और इस क्रम में वह परमात्मा बन जाता है। इसके लिए दर्शन, ज्ञान और चारित्र का सहारा लिया जाता है। यह सहारा आत्मा को मिथ्यात्व से सम्यक्त्व में ले जाता है। व्यावहारिक उपयोगिता की प्रासंगिकता को दर्शाते हुए कहा कि सामायिक पाठ द्वारा मैत्री, करुणा, माध्यस्थ इत्यादि भावनाओं का विकास होता है। फलस्वरूप हितप्रिय वचन से सामाजिक समरसता का मार्ग प्रशस्त होता है एवं सह-अस्तित्व की भावना द्वारा पर्यावरण संतुलन में सहयोग प्राप्त होता है इसीलिए वर्तमान में अणुबम नहीं बल्कि अणुव्रत की आवश्यकता है। 54 agimdost Printeres पार्श्वनाथ विद्यापीठ समाचार Henry Al Studies Venue nath Vidyapeeth, I. T. I. Road, Karaundi, Varanasi दर्शन एवं धर्म विभाग, का.हि.वि.वि वाराणसी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अरविन्द कुमार राय ने कार्यशालाओं के महत्त्व एवं प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। अध्यक्ष डॉ. शुगन चन्द जैन ने कहा कि सामायिक पाठ वर्तमान के लिए नितान्त आवश्यक है। यह स्वयं की स्वयं द्वारा खोज है और यह खोज तभी संभव है जब खोजकर्ता की सक्रिय सहभागिता हो न कि वह तटस्थ द्रष्टारूप हो। उन्होंने कार्यशाला के माध्यम से जैन दर्शन के सिद्धान्तों को समाज एवं पर्यावरण के संतुलित विकास हेतु व्यवहार में लाने का सुझाव दिया। कार्यशाला संयोजक डॉ. नवीन कुमार श्रीवास्तव ने कार्यशाला के उद्देश्य, प्रतिभागियों की संख्या, व्याख्यानों आदि के बारे में प्रकाश डाला। कार्यक्रम का प्रारम्भ पू. मुनिश्री प्रशमरति विजय जी म.सा. के मंगलपाठ से हुआ। डॉ. श्रीनेत्र पाण्डेय ने कार्यक्रम का संचालन किया। डॉ. अशोक कुमार सिंह ने स्वागत वक्तव्य एवं डॉ. राहुल कुमार सिंह ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया ।
SR No.525085
Book TitleSramana 2013 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2013
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size22 MB
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