________________
जैनदर्शन में संशय का स्वरूप : 25 मोक्षपंजिका, ५। सूर्यप्रज्ञप्ति, मलयगिरिवृत्ति, २, पृ. ५। सप्तभङ्गीतरंगिणी, विमलदास, परमश्रुत प्रभावक मंडल, अगास, १९७७, पृ. ६। स्याद्वादमंजरी, मल्लिषेणसूरि, अनु. डॉ. जगदीशचन्द्र जैन, परमश्रुत प्रभावक मण्डल, अगास, १९९२, १७। न्यायदीपिका, पूर्वोक्त, २/११। तत्त्वार्थवार्तिक, पूर्वोक्त, १/१५/९। वही, १/१५/१०। सर्वार्थसिद्धि, आचार्य पूज्यपाद, संपा. सिद्धान्ताचार्य पं. फूलचन्द्र शास्त्री, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, दिल्ली १९९१, ८/१।।
१५.
****