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________________ 40 : श्रमण, वर्ष 64, अंक 1 / जनवरी - मार्च 2013 और एक जैन मंदिर का निर्माण हुआ । कन्यानय महावीर कल्प परिशेष में कहा गया है कि जिनप्रभसूरी ने मुहम्मद बिन तुगलक से एक फरमान प्राप्त किया था, जिसके कारण दौलताबाद में साहू पेठढ़, साहू सहज और ठाकुर अचल के बनवाए हुए चैत्य तुर्कों की गारतगरी से सुरक्षित रहे । ५८ ऐसा विवरण भी मिलता है कि मुहम्मद बिन तुगलक ने एक बार पंडितों की एक सभा में कहा था-'जिनप्रभसूरी यदि इस समय यहाँ उपस्थित होते तो वे मेरी सारी शंकाओं का समाधान कर चुके होते। इस पर दौलताबाद से आये हुए ताजुलमलिक ने सज्दे में सर को झुकाकर कहा कि आचार्य तो दौलताबाद में हैं। यह सुनकर सुल्तान ने आदेश दिया- 'ऐ मलिक ! तत्काल दबी ए खाना जा, एक फरमान तैयार करा और उसे बाकायदा दौलताबाद के दीवान के पास भेजो' दौलताबाद के नायक श्री कुलखान ने आदरपूर्वक फरमान में मौजूद संदेश को जिनप्रभसूरी तक पहुँचाया कि सुल्तान उन्हें दिल्ली में मौजूद देखना चाहता है। सूरी दिल्ली जाकर सुल्तान से मिले। सुल्तान ने उन्हें सीने से लगाया। सूरी ने उसे आशीर्वाद दिया और फिर सुरूतरान सराय के लिए चल पड़े। ६० एक और अवसर की बात है। सुल्तान की माँ मख्दूम-ए-जहाँ, जिनप्रभसूरी के साथ दौलताबाद से आ रही थी, तब सुल्तान अपनी फौज के साथ उनका स्वागत करने के लिए निकला। वह अपनी माँ से वडथूना में मिला । ११ सुल्तान ने सूरी को रहने के लिए अपने महल के पास अभिनव सराय नाम का एक शानदार मकान दिया । १२ बाद में सुल्तान से हस्तिनापुर जाने का फरमान पाकर सूरी अपने धाम लौट आए। इसी फरमान में यह भी कहा गया था कि दिगम्बर और श्वेताम्बर बिना किसी रोकटोक के कहीं भी आ-जा सकते थे। ६३ मुहम्मद बिन तुगलक के उत्तराधिकारी फीरोजशाह तुगलक ने भी जैन आचार्यों के प्रति आदर भाव प्रकट किया और जैन विद्वानों को सम्मानित भी किया। जैन ग्रंथों के अनुसार फीरोजशाह तुगलक ने "श्रीपाल चरित" के रचयिता जैन कवि राजशेखर को सम्मानित किया था। एक और अवसर पर सुल्तान ने गुणभद्रसूरी, मुनिभद्रसूरी के शिष्य महेन्द्रप्रभसूरी को सम्मानित किया था । ६४ १३५६ई० में राजगीर के एक शिलालेख में कहा गया है कि पार्श्वनाथ के मंदिर की मरम्मत सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के आदेश से करायी गयी थी । १५ जैन ग्रंथो में लोदी काल के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है। लेकिन एक प्रबंध-ग्रंथ से पता चलता है कि सुल्तान सिकन्दर लोदी ने ५०० बंदिशों के साथ जैन भिक्षु हंससूरी को उनकी प्रार्थना सुनकर, मुक्त कर दिया। यह भी जानकारी मिलती है कि सुल्तान ने बीकानेर क्षेत्र में मालेश्वर
SR No.525083
Book TitleSramana 2013 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2013
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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