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________________ 24 : श्रमण, वर्ष 64, अंक 1 / जनवरी-मार्च 2013 कोहला, चैनपुर, केथुली, कुक्कुडेश्वर, बेखेड़ा और संधारा आदि से बड़ी संख्या में मध्ययुगीन जैन प्रतिमाओं और मंदिरों के भग्नावशेष प्राप्त हुए हैं। २३. रेशन्दीगिरि-यहां कुल ५१ जिनालय हैं -३६ पहाड़ी के ऊपर तथा १५ मैदान में। पार्श्वनाथ की मूर्ति जिसके साथ १३ और मूर्तियां निकली थीं सं. ११०९ की है। यहां एक सरोवर के मध्य में जिनालय बना हुआ है। २४. द्रोणगिरि- यह क्षेत्र छतरपुर जिले की बिजावर तहसील में पर्वत के ऊपर अवस्थित है। यहां पहुंचने के लिये २३२ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। द्रोणगिरि तीर्थ क्षेत्र निर्वाण क्षेत्र है। इसके शिखर से गुरुदत्त आदि मुनिगण निर्वाण को प्राप्त हुए। पर्वत के ऊपर कुल २८ जिनालय बने हैं जिसमें तिगोडावालों का मन्दिर सबसे प्राचीन है। इसे बड़ा मन्दिर भी कहते हैं, इसमें भगवान आदिनाथ की एक सातिशय प्रतिमा संवत् १५४९ की विद्यमान है। द्रोणगिरि की तलहटी में सेंधपा ग्राम है जहां एक जैन मन्दिर है। पार्श्वनाथ मन्दिर के नीचे एक प्राकृतिक गुफा भी है। पूज्य गणेशप्रसाद वर्णीजी का सबसे प्रिय क्षेत्र द्रोणगिरि था। यहां यात्रियों के लिये ३ धर्मशालाओं का निर्माण कराया गया है। इसके अतिरिक्त पजनारी, बीना-बराहा, पटनागंज,अजयगढ़, कारीतलाई, पतियानदाई भी मख्य तीर्थक्षेत्र हैं जहां प्रचुरमात्रा में सांस्कृतिक एवं पुरातात्त्विक सामग्री प्राप्त होती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि विन्ध्य और बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जो दिगम्बर जैन मन्दिर हैं भले ही वे अपने पुराने रूप में नहीं हैं किन्तु कला एवं स्थापत्य की दृष्टि से वे विशेष और प्राचीन हैं। इनके भग्नावशेषों से पता चलता है कि किसी समय इनका समुन्नत रूप रहा होगा जहां अनेक तीर्थयात्री आते जाते रहे होंगे। आज अधिकांश उस स्थिति में नहीं हैं फिर भी उनका धार्मिक एवं पुरातात्त्विक महत्त्व नि:संदेह है। सन्दर्भ : जिनसेन कृत आदिपुराण, भाग-१, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, १९४४, १६वां पर्व, श्लोक१५२-५६, पृ.३६०। (अ) कथासरित्सागर, अ० १९। (ब) Rhys David's Budhist India, p. 28. अलबेरूनी का भारत, प्रथम खण्ड, पृ०२०२। भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (भाग-३), बलभद्र जैन, भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी, हीराबाग, मुम्बई- प्रथम संस्करण, १९७६, पृ० ४। वही पृ० २२। __
SR No.525083
Book TitleSramana 2013 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2013
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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