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________________ 46 : श्रमण, वर्ष 63, अंक 4 / अक्टूबर-दिसम्बर 2012 काल है एवं वर्तना लक्षण का धारक जो काल है, वह निश्चयकाल है 150 ध्यातव्य है कि दिगम्बर परम्परा ने निश्चय - कालद्रव्य को द्रव्य और पर्याय रूप में स्वीकृत किया है एवं माना है कि कालद्रव्य के रूप में लोकाकाश के एक-एक प्रदेश पर एक-एक कालाणु स्थित है। श्वेताम्बर परम्परा में निश्चयकाल द्रव्य को, जो जीव पुद्गल आदि द्रव्यों में प्रत्येक समय में प्रतिसमय परिणमन होता रहता है, मात्र पर्यायरूप में स्वीकृत किया गया है। द्रव्य व्यवस्था को जानने से लाभ 1. समस्त द्रव्य अपने स्वभाव रूप परिणमन करते हैं पर रूप परिणमन नहीं । अर्थात् एक द्रव्य दूसरे द्रव्य रूप परिणमन नहीं करता । 2. द्रव्यों का परिणमन स्वतः होता है कोई भी किसी भी द्रव्य का कर्त्ता, धर्ता, हर्ता नहीं है। 3. विश्व षड् द्रव्यात्मक है इसको किसी ने नहीं बनाया । यह अनादिनिधन है। 4. यह विश्व अनादिनिधन है इसका कभी विनाश नहीं होगा । इस प्रकार जैन दर्शन इस बात को स्वीकार करता है कि षट्द्रव्य में सम्पूर्ण सृष्टि आ जाती है। जीव, जगत् एवं ईश्वर अथवा ब्रह्मा, ब्रह्माण्ड सब कुछ इसमें समाविष्ट हो जाता है। इसलिए आत्मा, परमात्मा एवं जगत् के स्वरूप को समझने के लिए एवं उसके कारणों को समझने के लिए द्रव्य का यथार्थ परिज्ञान करना आवश्यक है। उसे समझे बिना व्यक्ति जीवन का अथवा आत्मा का विकास नहीं कर सकता। अतः इन सब सन्दर्भों से यह निश्चित है कि द्रव्य के अभाव में जगत् एवं जीव की व्याख्या नहीं की जा सकती है। सन्दर्भ : 1. धुम्नं द्रव्यं वृक्थमृक्थं स्वमृक्णं द्रविणं धनम् । - अभिधानचिन्तामणि कोश, 2/106 2. दविए बंधणमुक्के छिणबंधणे । सूत्रकृतांग, 1/8/10 3. सत्तासत्वं सद्वा सामान्यं द्रव्यमन्वयो वस्तु । अर्थो विधिरविशेषादेकार्थवाचकार्थ अमी शब्दा: । पंचाध्यायी, 1 / 143 4. जैनेन्द्र सिद्धान्तकोश भाग - 2, पृ. 453 5. दवियदि गच्छदि ताइं ताइं सब्भावपज्जयाई जं । दवियं तं भण्णंते अणण्णभूदं तु सत्तादो। पंचास्तिकाय, 1/9 6. तत्त्वार्थसूत्र, 5/29, 5/38 1/29 7. स्वपर्यायान् द्रवति द्रूयते वा तैरिति द्रव्यम् । राजवार्तिक, 8. गुण समुदायो द्रव्यमिति ननु गुणान्द्रवन्ति गुर्णेर्वा द्रूयन्त इति ।
SR No.525082
Book TitleSramana 2012 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2012
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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