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________________ लोकानुप्रेक्षा में वास्तुविद्या : 35 वर्तमान युग में जनमानस में निमित्त की प्रबलता अधिक प्रगाढ़ होती जा रही है। लोगों का कर्म सिद्धांत से विश्वास उठता जा रहा है। वह निमित्त की क्रियाओं जैसे वास्तु विधान, ज्योतिष, क्रियाकर्म आदि क्रियाओं को अधिक महत्त्व दे रहा है और स्वयं के भाग्य पर विश्वास ही नहीं करता। इसकी अपेक्षा यदि मानव भाग्य पर विश्वास कर पुरुषार्थ करता है तो जीवन में अधिक सफल होता है। जीवन में बहुत अधिक अवसर आते हैं कि जब व्यक्ति को कुछ क्रियाओं को भाग्य के सहारे छोड़ना पड़ता है तो कुछ पर स्वयं पुरुषार्थ करना पड़ता है। जीव पाप के उदय से दुःख पाता है तथा पुण्य के उदय से सुख का अनुभव करता है। जब जीव के पाप का उदय होता है तो अनेक ऐसे निमित्त उपस्थित हो जाते हैं जो पूर्व में सुख के कारण थे परन्तु वर्तमान में दुःख के कारण हो जाते हैं। जहाँ जीव के उपादान की मुख्यता होती है वहीं निमित्त भी कार्यकारी होता है। जैसे पुण्य का संचय करने के लिए जिनेन्द्र भगवान् का मंदिर बनवाना तथा यथायोग्य पूजा आदि करना तथा पाप का संचय करने के लिए कत्लखाने आदि का खोलना आदि कार्य के निमित्त से पुण्य-पाप रूप उपादान में शक्ति आती है। इन निमित्तों को देखकर ही आचार्यों ने वास्तु एवं ज्योतिष का कथन किया जिससे जीव उचित समय में सम्यक् स्थान का चयन करके शुभोपयोग में आत्मपरिणाम को लायें जिससे पुण्य का उपार्जन हो तथा जिनमंदिर आदि पूजा के एवं साधर्मियों के योग्य धार्मिक स्थानों का चयन कर निर्माण कराकर सातिशय पुण्य का उपार्जन कर परम्परा से मोक्ष की प्राप्ति करें। सन्दर्भ : 1. राजवार्तिक, अध्याय-9, सूत्र-25, वार्तिक-3, पृष्ठ-624 2. बृहद्दव्य संग्रह, पृष्ठ-101 3. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, मूलगाथा-283,सम्पा.- पं. महेन्द्र कुमार पारणी, श्री वीतराग विज्ञान प्रकाशिनी ग्रन्थमाला, खण्ड 9, वी.नि. 2500 4. वस निवासे, नामक परस्मैपदी धातु, पाणिनि व्याकरण के अनुसार, प्रथम भ्वादिगण, सिद्धान्त कौमुदी सूत्र-1074 5. तिलोयपण्णत्ती, भाग-1, पृष्ठ-268 6. वत्थुविज्जा, मंदिर शिल्प, पृष्ठ-125 7. तिलोयपण्णत्ती, भाग-2, गाथा-1870-71, 77 अधिकार चतुर्थ पृष्ठ -526-27 8. वत्थुविज्जा, मंदिर शिल्प, पृष्ठ -108 9. त्रिलोकसार गाथा- 978 10. बृहद्रव्य संग्रह, पृष्ठ-124 11. त्रिलोकसार गाथा-214-16
SR No.525082
Book TitleSramana 2012 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2012
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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