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________________ पार्श्वनाथ विद्यापीठ समाचार : 83 और वीतरागता विषयक अपने व्याख्यान दिए । अमेरिका से पधारे डॉ. सुलेखचन्द जैन ने वीतरागता पर एक सारगर्भित व्याख्यान दिया । इस अवसर पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ, दिल्ली शाखा से प्रारम्भ होने वाले सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रम की विवरणिका एवं प्रो. सुदर्शन लाल जैन निदेशक पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा लिखित " उत्तराध्ययन सूत्र : एक परिशीलन", जिसे प्रो. जैन ने आचार्यश्री को समर्पित किया था, का विमोचन पूज्य आचार्यश्री जी के कर-कमलों द्वारा किया गया। आचार्य भगवन् ने अपने विशेष उद्बोधन में कहा कि भगवान् महावीर ने भेद विज्ञान का उपदेश दिया है। आत्मा स्व है, शरीर, विचार सभी पदार्थ पर हैं। धन, वैभव, ऐश्वर्य सब मिथ्या हैं। एक मात्र सत्य आत्मा है। अन्तर्दृष्टि प्राप्त होने पर आत्मानुभूति उसी प्रकार बिना किसी विलम्ब के हो सकती है जिस प्रकार मिश्री खाने पर व्यक्ति को तुरन्त मिठास का अनुभव होता है। इसलिए भेद विज्ञान की साधना 24 घंटे की जा सकती है। बस इस बात का चिन्तन करने की जरूरत है कि सभी सांसारिक सम्बन्ध पर हैं और केवल एक तत्त्व आत्मा सत्य है। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व प्राध्यापिका डॉ. कमला जैन, डॉ. वी. के. जैन, श्री राजकुमार जैन, फरीदाबाद, जैन श्रमण संघीय श्रावक समिति के सभी माननीय सदस्य - श्री सतीश कुमार जैन, श्री रविन्द्र जैन, श्री राजप जैन, श्री अनिल जैन, श्री विद्यासागर जैन, श्री संजीव जैन, श्री मोहिन्दर जैन तथा दिल्ली जैन समाज के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। संगोष्ठी में परम साधिका पन्ना बहन ( महाविदेह क्षेत्र) की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम का संचालन पार्श्वनाथ विद्यापीठ दिल्ली शाखा के कार्यालय मंत्री श्री मोहिन्दर जैन धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शुगन चन्द जैन ने किया । आहार आदि की समुचित व्यवस्था शिवाचार्य समवसरण समिति के सौजन्य से की गयी। 4. पाण्डुलिपि एवं पुरालिपिशास्त्र पर कार्यशाला का आयोजन दिनांक 15 मार्च 2012 को इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, वाराणसी के द्वारा पार्श्वनाथ विद्यापीठ में 'पाण्डुलिपि एवं पुरालिपिशास्त्र' विषय पर 15 दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन हुआ। 5. नेत्र परीक्षण शिविर का आयोजन पार्श्वनाथ विद्यापीठ, करौंदी, वाराणसी के प्रांगण में प. पू. आचार्य प्रशमरतिविजयजी महाराज की प्रेरणा से दिनांक 25 मार्च 2012 दिन रविवार को एक नेत्र परीक्षण
SR No.525079
Book TitleSramana 2012 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2012
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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