SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ || पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्राङ्गण में १. 'सल्लेखना (समाधिमरण) आत्महत्या नहीं' पर विशिष्ट व्याख्यान जैनधर्म-दर्शन के मर्मज्ञ विद्वान् एवं पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक (शोध) प्रो० सुदर्शन लाल जैन का 'सल्लेखना (समाधिमरण) आत्महत्या नहीं' विषय पर शोधपूर्ण व्याख्यान ०६ जून २०११ को पार्श्वनाथ विद्यापीठ में सम्पन्न हुआ। उन्होंने बतलाया कि आत्महत्या में व्यक्ति अपना विवेक खो देता है और अपने प्राणों की आहुति दे देता है परन्तु सल्लेखना इससे भिन्न है। सल्लेखना का तात्पर्य है विवेकपूर्वक वीतराग भाव से मृत्यु का स्वागत करना। उस समय व्यक्ति न जीने की आकांक्षा करता है न मरने की और न अपने वर्तमान बन्धु-बान्धवों के साथ किये गए सुखोपभोग तथा कष्टों का स्मरण करता है और न आगामी जीवन के लिए किसी आकांक्षा की पूर्ति हेतु ईश्वर से प्रार्थना करता है। सल्लेखना का मूल है, वीतराग भाव से मृत्यु का स्वागत करना। कार्यक्रम की अध्यक्षता अमेरिका के एमिरेटस प्रो० पारसमल अग्रवाल ने की। कार्यक्रम का संचालन डॉ० नवीन कुमार श्रीवास्तव, स्वागत भाषण डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय तथा कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापन डॉ० राहुल कुमार सिंह ने किया। २. विदेशी विद्वानों को जैनविद्या का प्रशिक्षण पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिसर में ४ जून २०११ से ८ जून २०११ तक तथा २६ जून २०११ से ८ जुलाई २०११ तक आई०एस०जे०एस० (इण्टरनेशनल स्कूल फॉर जैन स्टडीज) के तत्वाधान में जैनविद्या के विभिन्न विषयों पर क्रमश: दो प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हए। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल २९ विदेशी विद्वानों ने जैनधर्म-दर्शन का अध्ययन किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जैनधर्म-दर्शन के विभिन्न विषयों पर अंग्रेजी में व्याख्यान हुए। जिनके विवरण निम्न हैं। १. प्रो० पारसमल अग्रवाल (अमेरिका)- द्रव्य व तत्त्व-विचार, कर्मसिद्धान्त २. प्रो० मारुति नन्दन तिवारी (वाराणसी)- जैन-प्रतिमा विज्ञान तथा जैन कला ३. प्रो० सुदर्शन लाल जैन (वाराणसी)- जैन धार्मिक अनुष्ठान, पर्व, पूजा, मंत्र, तीर्थस्थान, जैन दार्शनिक साहित्य एवं रत्नकरण्डश्रावकाचार ४. डॉ० प्रियदर्शना जैन (चेन्नई)- उत्तराध्ययनसूत्र एवं दशवैकालिकसूत्र
SR No.525076
Book TitleSramana 2011 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2011
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy