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________________ अंगविज्जा में कला-शिल्प : ६३ सेतक्षार मणि के नाम हैं। काले पदार्थों में सीसा, काललोह, अंजतन और कालक्षार मणि; नीले पदार्थों में सस्सक और नीलखार मणि आग्नेय पदार्थों में सुवर्ण, रूपा, सर्वलोह, लोहिताक्ष, मसारकल्ल, क्षारमणि आभूषण आते हैं। इसके बाद शरीर के भिन्न-भिन्न अवयवों के आभूषण अलग से उल्लिखित हैं। सिर के लिए ओचूलक, णंदिविणद्धक, अपलोकणिका, सीसोपक; कानों में तालपत्र, आबद्धक, पलिकामदुघनक, कंडल, जतणक, ओकासक, कण्णुप्पीलक; आँखों के लिए अंजन; भौहों के लिए मसी, गालों के लिए हरताल, हिंगुल और मैनसिल एवं होठों के लिए अलक्तक राग का नाम आता है। गले के लिए सुवणसुत्तक, विज्जाधारक, असीमालिका, पुच्छलक, आवलिका, मणिसोमाणक, लोक पुरुष के ग्रीवा भाग में विमान सोमणस अट्ठमंगलक, पेचुका, वायुमुत्ता, वुप्पसुत्त, कट्ठवट्टख भुजाओं में अंगद और तुडिय; हाथों में हस्तकटक, कटक, रुचक, सूची, अंगुलियों के लिए अंगुलेयक, मुद्देयक, वेंटक आदि का उल्लेख हुआ है। कटि में कांचीकलाप, मेखला और जंघा में गंडूपदक, नूपुर, परिहेरक, पैरों में खिंखिणिक, खत्तियधम्मक, पादोपक आदि पहने जाते थे। ५७वें नट्टकोसय नामक अध्याय में धातु के आभरणों में सुवर्ण, रुप्प, तांबा, कहारकूट, वपु या रांगा, सीसा आदि के नाम बताए गये हैं। इस प्रकार अंगविज्जा का उक्त विवरण आभूषणों के बहुत से नये नामों से हमारा परिचय कराता है और सांस्कृतिक दृष्टि से उसका महत्त्व भी है। ___ कर्मद्वार नामक उन्नीसवें अध्याय० में राजोपजीवी शिल्पी एवं उनके उपकरणों का उल्लेख किया गया है। बर्तनों में थाल, तट्टक या तश्तरी, कुंडा या श्रीकुंड और पणसक है जो कटहल की आकृति की बतायी गयी है। अहिच्छत्रा से ऐसे पात्र का नमूना भी मिला है। हस्तिनापुर और राजघाट में भी ऐसे बर्तन मिले हैं। सुपतिट्ठक नाम का कटोरा, पुष्करपत्रक, मुंडक, श्रीकंसक, जम्बूफलक, मल्लक, मूलक, करोटक, वर्धमानक नाम के अन्य बर्तनों का भी उल्लेख है। मिट्टी के पात्रों में अलिंजर, अलिन्द, कुंडग, माणक, वारक, कलश, मल्लक, पिठरक आदि का उल्लेख है। __ अंगविज्जा प्राचीन साहित्य में सम्भवतः एकमात्र ऐसा ग्रन्थ है जिसमें शिल्पों की महत्ता के साथ उनके शिल्पकारों का भी उल्लेख किया गया है। ग्रन्थ के अट्ठाईसवें अध्याय में पेशेवर लोगों की लम्बी सची दी गयी है। इसमें ववहारी, उदकवड्डकि या नाव बनानेवाला, सुवण्णकार, अलित्तकार, रत्तरज्जक, देवड,
SR No.525073
Book TitleSramana 2010 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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