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________________ भारतीय कला में लक्ष्मी-श्रीवत्स का अन्तस्सम्बन्ध और अंकन : ४९ श्रीवत्स न केवल भारतीय कला वरन् भारतीय जन-जीवन का एक महत्त्वपूर्ण प्रतीक है जिसकी गणना अष्टमांगलिकों में की गयी है। जैन तथा बौद्ध ग्रन्थों में स्वस्तिक, नन्द्यावर्त, वर्द्धमानक, भद्रासन, कलश, दर्पण, मीन-मिथुन, छत्र, पुष्पदाम आदि के साथ श्रीवत्स का भी उल्लेख प्राप्त होता है। स्वस्तिक और श्रीवत्स हमारी संस्कृति के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मांगलिक चिह्न रहे हैं। स्वस्तिक सार्वभौमिकता एवं सर्वमंगल का और श्रीवत्स सुखसमृद्धि का द्योतक है। साहित्य का स्वस्ति-वाचन ‘स्वस्ति श्री' भारतीय कला में भी यथावत् अभ्यंकित हुआ है। इसीलिए स्वस्तिक और श्रीवत्स के अंकन का प्रस्तुतीकरण साथ-साथ किया गया है। ऐसे अनेक उदाहरण उड़ीसा में खारवेल के हाथी-गुम्फा अभिलेख एवं मध्यप्रदेश के गुना जिला स्थित चन्देरी शिलाभिलेख में पाए गए हैं। तमिलनाडु में करूर के निकट एक गुफा के शिला-पर्यंक पर स्वस्तिक एवं श्रीवत्स एक साथ उत्कीर्ण हैं, जिसका निर्माण काल लगभग तृतीय शती०ई० माना गया है। मथुरा से मिले जैन आयागपट्टों पर तथा कौशाम्बी और दक्षिणी भारत से मिले कतिपय बुद्धपट्टों पर भी स्वस्तिक और श्रीवत्स का अंकन साथ-साथ किया गया है। श्रीवत्स ('श्रीवत्स' अर्थात् श्री का पुत्र) लक्ष्मी का प्रतीक था। अत: लक्ष्मी के समान श्रीवत्स भी सुख-समृद्धि का द्योतक रहा है। भारतीय कला में लक्ष्मी और श्रीवत्स के साथ-साथ उत्कीर्ण होने का भी उल्लेख प्राप्त होता है। साँची के स्तूप सं. २ के वेदिका स्तम्भों पर तथा अमरावती के चैत्य गवाक्ष के शीर्ष पर इनके अंकन पाए गए हैं। साँची के स्तूप सं.२ के एक वेदिका-स्तम्भ पर पद्मलता का अंकन है, जिसमें चार घेरे हैं। एक घेरे में पद्मस्था और पद्महस्ता लक्ष्मी तथा लता के शीर्ष पर श्रीवत्स उत्कीर्ण है। लक्ष्मी के साथ-साथ श्रीवत्स का अंकन पांचाल, कुणिन्द और मथुरा के सिक्कों पर भी किया गया है। पांचाल नरेश फाल्गुमित्र के सिक्कों के पृष्ठभाग पर हाथ में कमल लिए हुए लक्ष्मी खड़ी हैं जिसके दायें पार्श्व में श्रीवत्स का अंकन किया गया है।११ कुणिन्द शासक अमोघभूति के कुछ ताँबे तथा चाँदी के सिक्कों के अग्र भाग पर एक मृग, मृग के आगे नारी-आकृति (लक्ष्मी) तथा मृग के सींगों के बीच श्रीवत्स उत्कीर्ण है। इसी प्रकार मथुरा क्षेत्र में शासन करने वाले पुरुषदत्त, रामदत्त, गोमित्र द्वितीय तथा शेषदत्त के सिक्कों पर स्थानक लक्ष्मी के पार्श्व में श्रीवत्स का अंकन किया गया है। ऐसे सिक्कों का वर्णन ऐलन ने ब्रिटिश संग्रहालय के सूचीपत्र में किया है।२ लक्ष्मी तथा श्रीवत्स के समवर्गीय होने का प्रबल साक्ष्य यह है कि दोनों को विष्णु के वक्ष पर आसीन माना जाता है। विष्णु के वक्ष पर श्रीवत्स . के लक्षण का एक रोचक वृत्तान्त महाभारत में भी पाया जाता है जिसमें
SR No.525073
Book TitleSramana 2010 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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