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________________ सारनाथ संग्रहालय में संगृहीत जैन मूर्तियाँ : ४५ मूर्ति में तीर्थंकर के चेहरे पर मन्दस्मित् का भाव एवं नासाग्र दृष्टि उनके गहन तप और उससे उत्पन्न परमानन्द के आध्यात्मिक भाव की सुन्दरतम प्रस्तुति करता है। कुंचित केश एवं लम्ब कर्ण तीर्थंकर मूर्तियों के लक्षण के अनुरूप द्रष्टव्य हैं। निश्चित ही यह मूर्ति भी उपरोक्त मूर्ति के समान अपनी पूर्णता में मनोहारी रही होगी। शैली की दृष्टि से भी यह मूर्ति नवीं शती के उत्तरार्ध और १०वीं शती ई० के पूर्वार्ध के मध्य की जान पड़ती है। तीर्थंकर मूर्ति का शीर्ष भाग- सारनाथ से प्राप्त उपरोक्त मूर्ति परम्परा में प्रस्तुत खण्डित शीर्ष भी चुनार के बलुए प्रस्तर में निर्मित है। पत्रावली युक्त त्रिछत्र से इस प्रतिमा की पहचान तीर्थंकर के रूप में स्पष्ट है। यह मूर्ति निश्चित ही उपरोक्त मूर्ति के बाद निर्मित हुई होगी, प्रो. तिवारी ने इस मूर्ति को शैली के आधार पर १०वीं शती ई. का माना है। सारनाथ से प्राप्त और वर्तमान में पुरातत्त्व संग्रहालय, सारनाथ में प्रदर्शित उपरोक्त पाँचों उदारहण कुषाण-उत्तर गुप्तकाल से १०वीं शती ई० के मध्य के हैं। इस कालावधि की सभी जैन मूर्तियाँ दिगम्बर परम्परा की हैं। सारनाथ से प्राप्त सभी तीर्थंकर मूर्तियाँ खण्डित हैं, जो जैन मूर्तियों की उपेक्षा को दर्शाता है, परन्तु उपर्युक्त परिस्थितियों में एक ओर सारनाथ का जैन परम्परा में श्रेयांसनाथ की जन्मस्थली के रूप में उल्लेख और दूसरी ओर कम से कम उत्तर-गुप्तकाल से सारनाथ में जैन मूर्तियों का मिलना महत्त्वपूर्ण है यह इस सम्भावना को जन्म देता है कि आगे विशद अध्ययन और सर्वेक्षण से भविष्य में होने वाले उत्खननों से और भी मूर्तियाँ मिल सकती हैं। बहुत सम्भव है कि प्रारम्भिक स्थिति में केवल बौद्ध कला-केन्द्र के रूप में सारनाथ के महत्त्व के कारण जैन मूर्तियों की पहचान और रख-रखाव को सारनाथ में महत्त्व न भी मिला हो, किन्तु आज के सन्दर्भ में जैन परम्परा और कला, बौद्ध परम्परा और कला के समान ही श्रमण परम्परा की एक सशक्त धारा है, जिसका प्रवाह वैदिक-पौराणिक एवं बौद्ध कला के समान ही निरन्तरता में मिलता है। सन्दर्भ १. जैन सत्येन्द्र मोहन, वाराणसी का ऐतिहासिक परिचय, श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ जन्मभूमि मन्दिर, भेलूपुर, वाराणसी , १९९५, पृ०३; मोतीचन्द्रकाशी का इतिहास, वाराणसी, १९८५.
SR No.525073
Book TitleSramana 2010 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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