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________________ साहित्य सत्कार : १९३ किया गया है कि बारह भावनाओं से आत्मा का उन्नयन एवं जीवन का उत्कर्ष कैसे करें? आत्म-कल्याण के मार्ग की ओर कैसे बढ़े? पुस्तक की भूमिका में श्री दुलीचन्द जैन ने १२ भावनाओं के नाम तथा उनकी महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि 'भावनाएँ सत्य की अनुभूति के साधन हैं। भावना को अनुप्रेक्षा भी कहा जाता है, जिसका उद्देश्य जीवन के असली अर्थ को ग्रहण करके जीवन की वास्तविकता तक पहुँचना है। ये बारह भावनाएँ हैं - अनित्य, अशरण, संसार, एकत्व, अन्यत्व, अशुचि, आश्रव, संवर, निर्जरा, बोधिदुर्लभ और धर्म।' __ प्रस्तुत पुस्तक का सरस एवं श्रेष्ठ हिन्दी अनुवाद डॉ० प्रतिभा जैन ने किया है। डॉ. जैन ने अंग्रेजी में आलेखित कृति के भावों को बनाये रखने में अपनी कुशलता का परिचय दिया है। ध्यातव्य है कि प्रतिभा जैन एक सफल हिन्दी एवं अंग्रेजी अनुवादिका हैं, यही कारण है कि भाव और भाषा के अनुवाद में मणिकांचन का सुयोग है। प्रस्तुत कृति सभी पाठकों के लिए उपयोगी है। पाठकगण अपने निजी पुस्तकालय में इस कृति को स्थान देंगे तो अवश्य ही अपने जीवन का उत्कर्ष कर पायेंगे। ___ डॉ० भद्रेश जैन राष्ट्रीय सचिव, करुणा अन्तर्राष्ट्रीय, चेन्नई कत्लखाने १०० तथ्य (सचित्र), लेखक - डॉ० नेमीचन्दजी जैन, मूल्य३०/- रुपये, प्रकाशक - करुणा अन्तर्राष्ट्रीय,७०, शम्बुदास स्ट्रीट, चेन्नई - ६००००१; प्राकृत भारती अकादमी, १३-ए, मेन मालवीय नगर, जयपुर - ३०२०१७. 'कत्लखाने १०० तथ्य' - कत्लखानों की सचित्र विद्रूपता एवं क्रूरता का दिग्दर्शन करवाने वाली कृति है। पूर्व में इस कृति के आठ संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। ६०,००० प्रतियाँ पाठकों के मध्य पहुँच चुकी हैं, तथापि इस पुस्तक की मांग आती रही। इस ४८ पृष्ठीय पुस्तिका में मानस को झकझोर देने वाले १०० तथ्यों का समावेश किया गया है। यह पुस्तक डॉ० नेमीचंदजी जैन ने अपने अनुभव तथा शोधपरक तथ्यों के आधार पर लिखकर यह बताने का प्रयास किया है कि हमारे राष्ट्र में इसी प्रकार का रक्तपात होता रहा तो राष्ट्र में सुख-शांति, अमन-चैन की धारा कैसे संभव हो सकेगी? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525066
Book TitleSramana 2008 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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