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________________ गुजराती अर्थ____ पहेला धरणेन्द्रवड़े खेचो माटे आ मर्यादा करायी हती. अहीं जे कोई थी जिनभवन अने साधु नी प्रतिमा, उल्लंघन करशे। ते खेचराधमनी विद्या नो नाश तरत ज थई जशे. आ प्रमाणे नो नियम वैताढ्यनगरमां बधा खेचरी सारी ते जाणे छे. हिन्दी अनुवाद पहले धरणेन्द्र द्वारा खेचरों के लिए नियम किया गया था 'यहाँ जो कोई भी जिनभवन या साधु प्रतिमा का उल्लंघन करेगा। उस खेचराधम की विद्या तत्काल नष्ट हो जायेगी। इस नियम से वैताढ्य पर्वत के सभी खेचरलोग ज्ञात (परिचित) हैं। गाहा तत्तो इमस्स रन्नो जिण-भवणं लंघियंति रुद्वेण । धरणेण तक्खणिच्चिय विज्जा-च्छेओ कओ भद्द! ।।१९४।। संस्कृत छाया ततोऽस्य राज्ञो जिनभवनं लचित-मिति रुष्टेन । धरणेन तत्क्षण एव विद्याच्छेदः कृतो भद्र! ।।१९४।। गुजराती अर्थ हे भद्र! हमणा आ राजा वड़े जिनभवन ओळंगायु आधी रुष्ट थयेला धरणेन्द्र ते ज क्षणे (तेनी) विद्या नो छेद को हिन्दी अनुवाद हे भद्र! अभी राजा द्वारा जिनभवन का उल्लंघन हुआ है, अत: रुष्ट धरणेन्द्र ने उसी क्षण (उसकी) विद्या का छेद कर दिया। गाहा जलणप्पहस्स विज्जा सिद्धत्ति वियाणिऊण कणगपहो । विज्जा-रहिओ इहयं ठाउमसत्तोत्ति अह नट्ठो ।।१९५।। संस्कृत छाया ज्वलनप्रभस्य विद्यासिध्येति विज्ञाय कनकप्रभः । विद्यारहित इह स्थातु-मशक्त इत्यथ नष्टः ।।१९५।। 296
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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