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श्रमण
अप्रैल-सितम्बर २००७ विषयसूची
हिन्दी खण्ड १. जैन परम्परा में मंत्र-तंत्र डॉ० ऋषभचन्द्र जैन 'फौजदार' १-१२ २. तप : साधन और समाधान
डॉ० रज्जन कुमार १३-२२ ३. निरयावलिया-कल्पिका : एक समीक्षात्मक अध्ययन
___ डॉ० सुधा जैन २३-३३ ४. धार्मिक-सहिष्णुता और धर्मों के बीच मैत्रीभाव - जैन-दृष्टिकोण
__ डॉ. राजेन्द्र जैन ३४-४२ वैदिक श्रमण-परम्परा और
उसकी लोक-यात्रा डॉ० विन्ध्येश्वरी प्रसाद मिश्र 'विनय' ४३-५३ ६. आप्तोपदेश: शब्द: की जयन्त डॉ० जयन्त उपाध्याय भट्टीय व्याख्या
संजय कुमार सिंह ५४-६२ ७. कालिदास के नाटकों में प्रयुक्त प्राकृत के तद्धित प्रत्यय
कौशल्या चौहान ६३-७५ ८. तंत्र दर्शन में ज्ञान का स्वरूप
डॉ. जयशंकर सिंह ७६-८० ९. जैन दर्शन एवं योगवासिष्ठ में ज्ञान
की क्रमागत अवस्थाओं का विवेचन डॉ. मनोज कुमार तिवारी ८१-९४ १०.वैदिक एवं श्रमण परम्पराओं की दार्शनिक पारस्परिकता
डॉ० विजय कुमार ९५-१०० ११. बौद्ध एवं जैन दर्शन में व्याप्ति-विमर्श डॉ० राघवेन्द्र पाण्डेय १०१-११४ १२. जैन दार्शनिक चिन्तन का ऐतिहासिक विकास-क्रम
डॉ. किरन श्रीवास्तव ११५-१२६ १३. प्रकाशित उपांग साहित्य
ओम प्रकाश सिंह १२७-१३५ ENGLISH SECTION 14. Concept of Omniscience in Jainism Dr. S.P. Pandey 137-162 15. Contribution of Sramana Tradition to Indian Culture
Dr. B.N. Sinha 163-171 16. Jahangir's relation with Spiritual Jaina Leaders
___Dr. Nirmala Gupta 172-187 17 Jainism and Meat-Eating
M.V. Shah 188-206 18. Towards World Peace on the Wheels
of 'Anekāntaväda and Syädvāda' Dr. Jaya Singh 207-217 १९. पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्राङ्गण में
२१८-२२० २०.जैन जगत्
२२१-२२७ २१. साहित्य सत्कार
२२८-२३६