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________________ २२४ : श्रमण, वर्ष ५८, अंक २-३ / अप्रैल-सितम्बर २००७ 'जैन श्रमणियों का बृहद् इतिहास' ग्रन्थ का अमृतसर में लोकार्पण स्थानकवासी श्रमणसंधीय परम्परा की साध्वी पंजाबप्रवर्तिनी श्री केसरदेवी जी महाराज, श्री कौशल्यादेवी जी महाराज की विदुषी प्रज्ञावंत शिष्या साध्वी विजयश्री जी 'आर्या' द्वारा लिखित ग्रन्थ का लोकार्पण जैनविद्या के मूर्धन्य विद्वान् डॉ० सागरमल जैन (संस्थापक व निदेशक, प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर) ने किया। सात अध्यायों में विभक्त एवं ११०० पृष्ठों में पूर्णता को प्राप्त इस ग्रन्थ में प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव से लेकर भगवान महावीर के शासन की अद्यतन श्रमणियों के आध्यात्मिक, सामाजिक, साहित्यिक एवं नैतिक योगदानों का वर्णन है। डॉ० विजयश्रीजी म०सा० को ग्रंथ की प्रति समर्पित करते हुए प्रो० सागरमलजी जैन, शाजापुर, साथ में खड़े हैं मानवरत्न बाबू रामकुमार जी श्रमण शाल वाले लुधियाना। साध्वी श्री के इस कार्य पर जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं ने उन्हें पी-एच० डी० की उपाधि से विभूषित किया है। लोकार्पण के इस अवसर पर अमृतसर जैन समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। डॉ० श्रीमती कृष्णा जैन 'वागर्थ' सम्मान से सम्मानित ग्वालियर, ३० अगस्त, २००७ मध्य प्रदेश संस्कृत बोर्ड भोपाल द्वारा संस्कृतोत्सव २००७ के अवसर पर मध्य प्रदेश के ५० संस्कृतज्ञों को वागर्थ सम्मान से सम्मानित किया गया। ग्वालियर के महारानी लक्ष्मीबाई शासकीय उत्कृष्ट महाविद्यालय की संस्कृत प्राध्यापिका डॉ० कृष्णा जैन को भी प्रदेश के महामहिम राज्यपाल डॉ० बलराम जाखड़ ने टी०टी०टी०आई० सभागार, भोपाल में वागर्थ सम्मान से सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मण सिंह
SR No.525061
Book TitleSramana 2007 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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