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विषयसूची
१. तीस वर्ष और तीन वर्ष
२. आगमों में अनगार के प्रकार : परिव्राजक, तापस और आजीवक के विशेष सन्दर्भ में
श्रमण जनवरी-मार्च २००७
हिन्दी खण्ड
स्व० नंदलाल जैन १-३१
डॉ० विजय कुमार ३२-३९
डॉ० ० सुधा जैन ४०-४५ डॉ० श्यामकिशोर सिंह ४६-५४
डॉ० शारदा सिंह ५५ ६१
डॉ० राघवेन्द्र पाण्डेय ६२-७५
डा० राकेश कुमार सिंह ७६-८३
८. जैन एवं शैव धर्मों के बीच समीपता के साहित्यिक एवं अभिलेखीय प्रमाण डॉ० ९. जैन साहित्य में वर्णित व्यापारिक साधन डॉ० संजय कुमार पाण्डेय ८७-९०
० कृष्णकान्त मिश्र ८४-८६
ENGLISH SECTION
३. वैदिक एवं श्रमण परम्पराओं में सामाजिक पारस्परिकता
४. जैन - जैनेतर धर्म-दर्शनों में अहिंसा ५. जैन एवं बौद्ध धर्मों में चतुर्विध संघों का परस्पर योगदान
६.
७.
जैन ज्ञानमीमांसा : प्रमाणनयतत्त्वालोक के विशेष सन्दर्भ में
भारतीय तर्कशास्त्र को जैन दर्शन का योगदान
10. Tattvārthavivarana : An Appraisal
11. The Concept of Dharma :
A Reappraisal
12. Can there be a choice between Religion or no Religion
13. The Influence of Jainism on Akbar, The Mughal Emperor
14. The Concept of Mind in Won Buddhist Philosophy and Yoga 16. Anekānta and the Concept of Absolutism in Jainism
१७. पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्राङ्गण में १८. जैन जगत्
१९. साहित्य सत्कार
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Dr. G.L. Suthar 93-101
Dr. Bijayananda Kar
Dr. Kanchan Saxena
Dr. Nirmala Gupta
Prof. Soon-Keum Kim
Dr. Jagdish P. Jain
102-113
114-120
121-130
131-142
143-149
१५०-१५२
१५३-१५७
१५८-१६६