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________________ ३० : श्रमण, वर्ष ५८, अंक १/जनवरी-मार्च २००७ नवयुग के अनेक विचारशील विद्वानों का मत है कि प्राचीन धर्म अपने युगों की समस्याओं के अनुरूप अनुकूलित थे, पर वे आज की जटिल समस्याओं का अनुकूल समाधान नहीं कर सकते। एतदर्थ एक नये समन्वयवादी सत्य धर्म या मानव धर्म संस्था की आवश्यकता है। सन्दर्भः १. नोलन, एलबर्ट : जीसस विफोर क्रिश्चियनिटी, डार्टन, लोगमैन एण्ड टॉड लि० लंदन, १९९४. २. दी न्यू टेस्टामेंट : गिडियन्स इंटरनेशनल विस्कोंसिन, यू०एस०ए०, १९८२. ३. होली बाइबिल : कोलिन्स, बेंगलोर, १९७३. - ४. पाल, अलेक्जेंडर (सं) : दी वर्ल्ड रिलीजियन्स, लायन्स, लंदन १९९४. ५. स्टीवेंसन, सिनक्लेयर, हार्ट ऑव जैनीज्म, मुंशीराम मनोहरलाल, दिल्ली, १९९५. ६. जैन, सी०आर० : जैनीज्म, क्रिश्चियनिटी एण्ड साइंस, इण्डियन प्रेस, इलाहाबाद १९३०. ७. शुक्ला, परशुराम (अनु) : संत बेनेडिक्ट का नियम, इंडो - श्रीलंकन पब्लिकेशन्स, बेंगलोर, १९९६. ८. आचार्य, दया प्रकाश : वैदिक मोक्षयात्रा का लक्ष्य, मसीही साहित्य संस्था, दिल्ली, १९९३. ९. जैन, एन०एल० : जैनीज्म इन नटशैल, निज ज्ञानसागर ट्रस्ट, सतना १९९३. १०. स्वामी, सत्यभक्त : ईसाई - बहाई समीक्षा, सत्याश्रम, वर्धा, १९५९. ११. देसाई, ए० : दी ओरिजिनल इंडियन्स, मिडिया हाउस, दिल्ली, २००१. १२. ग्राहम, एलेनोर : दी स्टोरी आव जस, पेंग्विन बुक्स, लंदन, १९५४. १३. पीटर, पोटर : ऑल एबाउट सिन, यूनिवर्सल बुक स्टॉल, दिल्ली, १९८९. १४. खत्री, ठाकुरदास : विश्व सिनेमा और ईसामसीह : भास्कर, २५ दिसम्बर, २००४. १५. सिंह, जी०आर० और डेविड, सी० डब्लू० : विश्व के प्रमुख धर्म, हिन्दी थियोलोजिकल लिटरेचर सोसायटी, लखनऊ, २००२, पृ० - १८०-२८०.
SR No.525060
Book TitleSramana 2007 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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