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________________ तीस वर्ष और तीन वर्ष : २७ इतिहास के परिप्रेक्ष्य में अब 'धर्म' शब्द किंचित् उपेक्षा का शिकार भी हो रहा है। इसीलिये महावीर अनेकांतवाद या सापेक्षवाद के माध्यम से इसी सहिष्णुता के अभ्यास का निरन्तर संदेश देते हैं। इसी आधार पर अनेक नये स्वतंत्रचेता अंतर्विश्वासीय विचारधारा का प्रचार कर मानव-एकता को प्रबलित कर रहे हैं। यही नहीं, वे यह भी प्रयत्न कर रहे हैं कि मानव सृष्टि की अपूर्वता मानकर उसकी एकता के लिये प्रयत्न किया जाये एवं धर्मों के माध्यम से विभाजन की प्रक्रिया समाप्त की जाये। ___इस दृष्टि से महावीर उनके मार्गदर्शक हैं। उन्होंने जन्मना जातिवाद के सिद्धांत को 'कर्मणा' जातिवाद में परिणत कर परम्परागत जातिवादी उत्कृष्टता की मान्यतायें समाप्त की। इसके विपर्यास में, महात्मा ईसा ने अपने जीवनकाल में चुने हुए लोगों को ही प्राधान्य दिया और अन्यों के प्रति उपेक्षा दर्शायी। इसी प्रकार, महावीर ने धार्मिक जीवन को दैवी प्रसाद से मुक्त कर स्वावलम्बन व समत्व की ओर मोड़ा जिससे बुद्धिवादी अधिक प्रभावित हुए। महावीर की व्यापक अहिंसा के उपदेश ने जहां शाकाहार एवं सात्त्विक वृत्ति को प्रोत्साहित किया, वहीं इसकी युद्ध रोकने की क्षमता भी बीसवीं सदी में प्रकट हुई। इससे भारत के समान अनेक देश धार्मिक एवं राजनीतिक परतंत्रता से मुक्त हुए और वे अब साम, दाम, भेद व दण्ड की चतुष्टयी से युद्ध-रहित स्थिति का निर्माण कर रहे हैं। इसी को व्यापक रूप में अनुप्रयोजित करने के लिये आज न केवल 'यू०एन०ओ०' के समान अनेक संस्थायें निर्मित हुई हैं, अपितु सैन्य-विहीन राज्यों की धारणा भी सामने आई है। वर्तमान में, इसी सिद्धांत के आधार पर 'युद्ध न हो' के प्रयत्न किये जा रहे हैं। . महात्मा ईसा ने 'किसी को मत मारो' का उपदेश देकर भी अपने विरोधियों को अग्नि में जलाने या मारने के उपदेश दिये हैं। संसार के इतिहास में उपनिवेशवाद की यातनाओं की कथायें कौन नहीं जानता? अपवादों को छोड़कर कौन उनके अनुयायी मांसाहार नहीं करते? विश्व के अनेक क्षेत्रों में फैल रहा युद्धोन्माद ईसा के अनुयायियों की ही देन है। ऐसे में ईसा के उपदेश संसार में युद्ध कैसे रोक सकेंगे और शांति कैसे स्थापित कर सकेंगे? परमाणु-युद्ध की लीला और संभावना भी अहिंसा के विश्वव्यापी माध्यम अनेकांत से ही अल्पीकृत की जा सकती है। पर्यावरणप्रदूषण जनसंख्या वृद्धि, प्राकृतिक स्रोतों का अति-दोहन, औद्योगिक विस्तार एवं उपभोक्तावाद का सम्मिलित रूप है। आजकल भौतिक पर्यावरण (पृथ्वी, जल, वायु, ध्वनि आदि) तो प्रदूषित हुआ ही है, मानसिक या आंतरिक पर्यावरण (अभाव, असंतोष, आवेग, उद्वेग आदि) भी प्रदूषित हुए हैं। महात्मा ईसा के उपदेशों में इसे
SR No.525060
Book TitleSramana 2007 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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