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________________ तीस वर्ष और तीन वर्ष : १३ इन समानताओं के विपर्यास में, दोनों ही महापुरुषों की जीवन-पद्धति, अध्ययन, उपदेश एवं प्रचार-तंत्र में पर्याप्त विभिन्नताएँ भी परिलक्षित होती हैं। ब. जीवन-चरित की विविधता । १. एक ओर महावीर का जीवन-चरित सम्प्रदायानुसार है, वही ईसा का जीवन-चरित सभी ईसाई सम्प्रदायों में एक-सा माना जाता है। २. जहाँ महावीर राजकुलीन वातावरण में पल्लवित एवं शिक्षित हुए, वहां महात्मा जीसस राजकुलीन होते हुए भी बढ़ईगीरी के मध्यम-व्यवसायी जोसेफ के यहां पालित, पोषित एवं शिक्षित हुए। ३. महावीर का शिक्षण राजगुरुओं के द्वारा ७२ कलाओं में प्रवीणता के रूप में हुआ, वहीं ईसा का शिक्षण स्थानीय धर्म-स्थलों में हुआ। उनका उच्चतर शिक्षण कितना हुआ, यह अच्छी तरह ज्ञात नहीं है। उन्होंने यरुशलम में रवियों से २ वर्षों तक अनेक आश्चर्यजनक चर्चायें अवश्य की थीं। ४. महावीर ने विधिवत साधु-दीक्षा ली, १२ वर्ष तक साधना एवं तपस्या की, वहीं ईसा ने वपतिस्माई ज्ञान से यहूदीकरण स्वीकार किया और मात्र चालीस दिन ही पर्वत की उपत्यकाओं में ध्यान लगाया, पर दोनों की रिद्धि-सिद्धियों और उनकी कोटि में अंतर था। महावीर तो सर्वज्ञ ही हो गये। ५. दीक्षोत्तरी जीवन में महावीर सदैव पदयात्री (एक अवपाद को छोड़कर) रहे। यह परम्परा जैन साधुओं में अब भी चालू है (कुछ विदेश जाने वाले छोड़कर)। यही जैनों की परम्परा की सन्नतता का कारण है। इसके विपर्यास में, ईसा ने यातायात के अन्य साधनों का उपयोग भी किया। ६. महावीर के जीवन की घटनाओं में अनेक पूर्वोक्तियाँ हैं, उनके कुछ यक्षवशीकरण के भी उल्लेख हैं। इनके जीवन में उपसर्ग सहिष्णुता के सीमांत हैं और चमत्कारिक घटनाएँ भी हैं जो पूर्व में उल्लिखित की गई हैं। इसके विपर्यास में, महात्मा ईसा के जीवन में चमत्कारिकता की विविधता बहुत अधिक है। इस सम्बन्ध में तीन कोटियों के अन्तर्गत ३५ उदाहरण बाइबिल में मिलते हैं। इनका विवरण पूर्व में दिया गया है। संभवत: यही चमत्कारिकता उनकी उत्तरवर्ती प्रभाविता का कारण बनी हो। महावीर की चमत्कारिकता प्राय: व्यक्तिगत रही, जबकि ईसा के चमत्कारों से सामान्य जन भी लाभान्वित हुये। ७. महावीर का धर्मोपदेशन काल ३० वर्ष है, जबकि ईसा का कार्यकाल एवं उपदेशन काल मात्र तीन-साढ़े तीन वर्ष ही है। महावीर का उपदेशकालीन विहार
SR No.525060
Book TitleSramana 2007 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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