SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३० : श्रमण, वर्ष ५७, अंक ३-४ / जुलाई-दिसम्बर २००६ इच्छाओं से रहित है, निरपेक्ष है। वह तो जगत् रूपी शिल्प को निर्मित कर उसे. देखता है और आनन्दित होता है। इसे स्पष्ट करने के लिए एक दृष्टांत अपेक्षित होगा - जिस प्रकार छोटे बच्चे मिट्टी या बालु के टीले पर अपनी पसन्द के शिल्प निर्मित करते हैं और उससे आनन्दित होते हैं उसी प्रकार शिल्पकार भी अपनी शिल्पों को निर्मित कर आनन्दित होता है। सन्दर्भ : १. सिप्पेण अत्थो उवज्जिणिज्जई, दशवैकालिकसूत्र, पृ० १०२, जिनदास-गणिकृत, श्वेताम्बर संस्था, जामनगर। २. डॉ. कमल जैन, प्राचीन जैन साहित्य में आर्थिक जीवन, पृ० ७५, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी १९८८. ३. सत्यकेतु विद्यालंकार, भारत का प्राचीन इतिहास, पृ० ३३३. ४. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र, सम्पा० मधुकर मुनि, पृ० १०७-११०. ५. 'जत्थ कम्मविज्जंति सा कम्मंतसाला' निशीथचूर्णि भाग - २, पृ० ४३३. ६. उत्तराध्ययनसूत्र १९-६६, ६७. ७. बृहत्कल्पभाष्य, भाग ३, गाथा २९२९. ८. 'सद्धालपुत्तस्स पोलासपुरस्स नगरस्स बहिया पंचकुम्भकारावणसया' उपासकदशांग, ७-८. ९. कल्पसूत्र, पृ० १५. १०. नास तीसासवायवोज्जं चक्खुहरं कणकरिसजुत्तं हलालपेलवातिरेगं धवलं कणगखचियंत कम्मं दुगूलसुकुमाल्वउत्तरिज्याओ। भगवतीसूत्र ९-३३-५७. ११. कल्पसूत्र, १-४-६३. १२. उत्तराध्ययनसूत्र १९-५६. १३. 'सेडुय सए पिंजिय येलु गाहाणे य' बृहत्कल्पभाष्य भाग ३, गाथा - २९९६. १४. कडजोगी एक्कओ वा, असईए नालबद्धसहिओ वा निप्काए उवगरणं, उभओपक्खस्स पाओग्गं। बृहत्कल्पभाष्य भाग ३ गाथा २९९७. १५. बृहत्कल्पभाष्य, भाग १, गाथा १७१. १६. महोवसन्तर जातक, आनन्द कौसल्यायन, जातक कथा ६/५४२. १७. आचारांगसूत्र २/५/१/१४५. १८. अनुयोगद्वारसूत्र २८/३८. १९. 'किरीउयलाला मलयविसए मलयाणि पत्ताणि कोविज्जति', निशीथचूर्णि, भाग २, पृ० ३९९. २०. निशीथचूर्णि, भाग २, गाथा ६४५. २१. उत्तराध्ययनसूत्र ३६/७३-७६. ग-३, गाथा - ३७२०. २३. सूत्रकृतांगसूत्र २-८-८०. २४. उत्तराध्ययनसूत्र, ९/४६-४८. २५. वही, १९/६८. Jain Education International www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only
SR No.525059
Book TitleSramana 2006 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy