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________________ ९८ : श्रमण, वर्ष ५७, अंक ३-४ / जुलाई - दिसम्बर २००६ पुरुषार्थवाद | कालवाद कालवाद के समर्थकों का कथन है कि विश्व की समस्त वस्तुएँ तथा प्राणियों के सुख-दुःख कालाश्रित हैं। काल ही सब भूतों की सृष्टि करता है तथा उनका संहार करता है। काल ही प्राणियों के समस्त शुभाशुभ परिणामों का जनक है । काल ही प्रजा का संकोच और विस्तार करता है। अथर्ववेद के अनुसार काल ने पृथ्वी को उत्पन्न किया है, काल के आधार पर सूर्य तपता है, काल के ही आधार पर समस्त मत रहते हैं। काल के ही कारण आँखें देखती हैं, काल ही ईश्वर है, काल प्रजापति का भी पिता है, काल सर्वप्रथम देव है, काल से बढ़कर कोई अन्य शक्ति नहीं है । ६ महाभारत में भी कहा गया है कि कर्म अथवा यज्ञादि सुख-दुःख के कारण नहीं हैं। मनुष्य काल द्वारा ही सब कुछ प्राप्त करता है । समस्त कार्यों का काल ही कारण है। स्वभाववाद स्वभाववादियों का कथन है कि संसार में जो कुछ होता है वह स्वभाव के कारण ही होता है। स्वभाव के अतिरिक्त अन्य कोई भी कारण विश्व वैचित्र्य के निर्माण में समर्थ नहीं है। नियतिवाद नियतिवादियों की मान्यता है कि जो होना होता है वही होता है । घटनाओं का अवश्यम्भावित्व पूर्ण निर्धारित है । जगत् की प्रत्येक घटना पहले से ही नियत होती है। वेदों में कर्मवाद कतिपय विचारक यह कहते हैं कि वेदों में कर्मवाद का विचार नहीं हुआ है। उनका कथन है कि वैदिक काल के ऋषियों ने प्राणियों में विद्यमान वैविध्य अथवा वैचित्र्य का अनुभव अवश्य किया किन्तु उन्होंने इसका कारण अन्तरात्मा में ढूंढने के बजाय बाह्य तत्त्व में मानकर ही सन्तोष कर लिया। उनमें से किसी ने यह कल्पना की कि सृष्टि की उत्पत्ति का कारण एक भौतिक तत्त्व है। किसी ने अनेक भौतिक तत्त्वों को सृष्टि की उत्पत्ति का कारण माना। किसी ने प्रजापति को सृष्टि की उत्पत्ति के कारण के रूप में स्वीकार किया । वैदिक युग का समस्त तत्त्व चिन्तन देव और यज्ञ की परिधि में सम्पन्न हुआ। अनेक देवों की और बाद में एक देव की महत्ता स्थापित की गई। अपने सुख के लिए तथा शत्रुओं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.525059
Book TitleSramana 2006 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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