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________________ ९४ : श्रमण, वर्ष ५७, अंक ३-४ / जुलाई-दिसम्बर २००६ जबकि इसके विपरीत मनुस्मृति में कहा गया है कि "न शूद्राय मतिदंधान्नोच्छिष्टं न हविष्कृतम् । न चास्योपदिशेद्धर्म न चास्य व्रतमादिशेत ।। " २३ अर्थात शूद्र के लिए बुद्धि नहीं देना चाहिए, न जूठन और न हवि का शेष भाग ही देना चाहिए। इसको न धर्म का उपदेश देना चाहिए और न व्रत का उपदेश देना चाहिए। पुनः " जो इस (शूद्र) को धर्म का कथन करता है अथवा व्रत का उपदेश देता है, वह उसी के साथ असंवृत नामक नरक में डूब जाता है । २४ जैन धर्म के अनुसार जिस जाति में संयम, शील, तप, दान, इन्द्रियां व कषायों का दमन और दया ये परमार्थभूत गुण अवस्थित रहते हैं, वही सत्पुरुषों की श्रेष्ठ जाति समझी जाती हैं। योजनगंधा, धीवरकन्या आदि से उत्पन्न होकर तपश्चरण में रत हुए व्यासादिकों द्वारा की जाने वाली उत्तम पूजा को देखकर तपश्चरण में अपनी बुद्धि लगानी चाहिये। शीलवान् मनुष्य नीच जाति में उत्पन्न होकर भी स्वर्ग को प्राप्त हुये हैं तथा उत्तम कुल में उत्पन्न होकर भी कितने ही मनुष्य शील व संयम को नष्ट करने के कारण नरक को प्राप्त हुए हैं। सज्जनों को केवल शील संयम आदि से रहित जाति का अभिमान नहीं करना चाहिए। क्योंकि वह कोरा अभिमान नीच गति में प्रवेश करने वाला है, किन्तु इसके विपरीत उन्हें शील का अतिशय आदर करना चाहिये क्योंकि वह उच्च पद को प्राप्त कराने वाला है । २५ इस प्रकार जैनधर्म में वर्णव्यवस्था का आधार जन्मना न होकर कर्मणा है। संन्दर्भः १. ब्राह्मणो अस्य मुखमासीत -- २. चातुवर्ण्य मया सृष्टं -- ३. ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्यानांशूद्रानां - - ------- स्वभाव प्रभवैः गुणैः । -शूद्रो अजायत । ऋग्वेद १०/९०/१२ --विद्ध्यकर्तारमव्ययम् ॥ गीता - ४ / १३ महाभारत, भीष्मपर्व ४१/४२ ४. रीलिजन एण्ड सोसाइटी - डा० एस० राधाकृष्णन् पृ०१३ कौटिल्य अर्थशास्त्र ११३, याज्ञवल्क्य स्मृति ५/१८८ ५. ६. विद्या ब्राह्मण मित्याह--- --- स्यां वीर्यवत्तमा । मनुस्मृति २ / ११४ ७. सत्यं दानं क्षमाशीलं आनृशंस्यं -- ब्राह्मण इति स्मृतिः । महाभारत, वनपर्व १८०/२१ ८. कौटिल्य अर्थशास्त्र २/१, मनुस्मृति ७/१३३ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.525059
Book TitleSramana 2006 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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