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________________ भगवान महावीर का जन्म स्थल : एक पुनर्विचार (विक्रम की ग्यारहवीं शताब्दी) में 'वैशाली कुण्डपुरे' ऐसा उल्लेख किया है। इससे भी ऐसा लगता है कि महावीर की जन्मस्थली कुण्डपुरी वैशाली के निकट ही रही। दामनन्दी ने (१०वीं - ११वीं शताब्दी) महावीर के जन्म स्थान कुण्डपुर को विदेह में स्थित बताया है। इसी तथ्य को असग (ग्यारहवीं शताब्दी) ने वर्धमान चरित्र में पुष्ट किया है। वे भी महावीर की जन्मस्थली कुण्डपुर की अवस्थिति विदेह क्षेत्र में बताते हैं । श्रीधर रचित वड्डमानचरिउ (लगभग बारहवी शती) में भी कुण्डपुर को विदेह क्षेत्र में माना गया हैं । सकलकीर्ति ने वर्धमानचरित्र में कुण्डपुर को विदेह क्षेत्र में अवस्थित माना है । पुनः मुनि धर्मचन्द ने गौतमचरित्र (१७वीं शताब्दी) में कुण्डपुर को भरतक्षेत्र में विदेह प्रदेश के अन्तर्गत स्वीकार किया है। इस प्रकार हम देखते हैं कि लगभग ईसा की ५वीं शताब्दी से लेकर १७वीं शताब्दी तक दिगम्बर आचार्य एवं भट्टारक कुण्डपुर को विदेह क्षेत्र में अवस्थित ही मान रहे हैं। यहां हमने केवल उन्हीं सन्दर्भों को उल्लेखित किया है, जिनमें कुण्डपुर को स्पष्ट रूप से विदेहक्षेत्र में अवस्थित बताया गया है। महावीर के जन्मस्थल कुण्डपुर होने के तो अन्य भी कई सन्दर्भ हैं, जिनकी चर्चा श्री राजमल जैन ने की है। वस्तुतः महावीर का जन्मस्थल विदेहक्षेत्र में स्थित वैशाली का निकटवर्ती कुण्डपुर नामक उपनगर ही रहा है। परवर्ती साहित्य में कहीं-कहीं कुण्डपुर के कुछ उल्लेख मिलते हैं जिनकी स्पष्ट समीक्षा श्री राजमलजैन ने की है। हम यहां कुण्डपुर और कुण्डलपुर के विवाद में नहीं पड़ना चाहते । श्वेताम्बर सन्दर्भ तो मूलतः कुण्डग्राम के ही हैं, और उसमें भी स्पष्ट रूप से क्षत्रियकुण्ड के हैं। श्वेताम्बर परम्परा में १४वीं शताब्दी में आचार्य जिनप्रभसूरि ने विविधतीर्थकल्प की रचना की थी। उन्होंने भी महावीर का जन्मस्थल कुण्डग्राम ही उल्लेखित किया है। श्री राजमलजी जैन ने अपनी पुस्तक 'महावीर की जन्म भूमि कुण्डपुर' में जो यह उल्लेख किया है कि कुण्डपुर ही १३वीं शताब्दी तक कुण्डग्राम हो गया होगा, एक भ्रान्ति है। हम पूर्व में उल्लेख कर आये हैं कि कल्पसूत्र आदि में स्पष्ट रूप से 'कुण्डग्राम' का ही उल्लेख है, कुण्डपुर का नहीं। हाँ इतना अवश्य है कि आगमों में 'कुण्डपुरग्रामनगर' ऐसा उल्लेख भी मिलता है । मेरी दृष्टि में ग्राम नगर ऐसा समासपद ग्रहण करने पर इसका अर्थ होगा नगर का समीपवर्ती गांव या वह गांव जो कालान्तर में किसी नगर का भाग या उपनगर बन गया हो। - 1: ३१ यहाँ एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि गणनी ज्ञानमती कुण्डलपुर का पक्ष लेते हुए उसे विदेह में स्थित माना है। Jain Education International For Private & Personal Use Only माताजी ने भी अब यह प्रश्न www.jainelibrary.org
SR No.525056
Book TitleSramana 2005 07 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2005
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size11 MB
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