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________________ संस्थान के विकास में सहयोग का आह्वान (आयकर अधिनियम ८० जी० के अन्तर्गत देय अनुदान ५०% कर मुक्त) पार्श्वनाथ विद्यापीठ पिछले ६८ वर्षों से समग्र जैन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अनवरत लगा हआ है। यह संस्थान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं डा. राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय, फैजाबाद से शोध संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है। अभी तक लगभग १५० छोटे-बड़े ग्रन्थ संस्थान से प्रकाशित हो चुके हैं और लगभग ६६ छात्रों ने यहां से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। यहां छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास एवं बाहर से पधारने वाले विद्वानों के लिए सभी सुविधाओं से सुसज्जित अतिथिगृह एवं पुस्तकालय उपलब्ध है। रमणीय और शान्त परिसर जैन विद्या के अभ्यासकर्ताओं के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। सेठ श्री हरजसराय जी द्वारा संस्थापित यह संस्थान देवलोक प्राप्त प.पू. श्री सोहन लाल जी म., जैन श्रमण संघ के वर्तमान आचार्य प.पू. श्री शिवमुनि जी म., प.पू. श्री आचार्य श्री राजयश सूरीश्वर जी म., प.पू. श्री मणिभद्र मुनि जी म., प.पू. साध्वी मणिप्रभा श्री जी म. एवं प.प. प्रवर्तिनी आर्या ॐकारश्री जी म. आदि साधु भगवन्तों द्वारा आशीर्वाद प्राप्त, श्री भूपेन्द्र नाथ जैन, डॉ. सागरमल जैन एवं श्री इन्द्रभूति बरड़ जैसे कर्मठ अभिभावकों द्वारा संरक्षित तथा सर्वश्री जगन्नाथ जैन, श्रीमती सीता देवी जैन, श्री अमृतलाल जैन, श्री नृपराज शादीलाल जैन, श्री दीपचन्द जी गार्डी, श्री नेमनाथ जैन, श्री मोहनलाल खरीवाल, श्री पुखराजमल लुंकड़, श्री किशोर एम. वर्धन, श्री शान्तिलाल बी. सेठ, बनारसी दास लाजवन्ती जैन, खांतिलाल शाह, सुमतिप्रकाश जैन, शौरीलाल जैन, लाला जंगीलाल जैन, लाला अरिदमन जैन, राजकुमार जैन, अरुण कुमार जैन, जतिन्दरनाथ जैन, तिलकचन्द जैन; दुलीचन्द जैन आदि जैसे दानवीर उद्योगपतियों द्वारा पोषित एवं सेवित है। संस्थान के बढ़ते हुए चरण को और गतिमान् बनाने के लिए आप सभी के आर्थिक सहयोग की अपेक्षा है। यह सहयोग आप निम्न रूप में दे सकते हैं - १. ग्रन्थ प्रकाशन, २. प्रकाशित साहित्य-क्रय, ३. पुस्तकदान, ४. आवास निर्माण, ५. शोध छात्रवृत्ति, ६. आल्मारी, पंखे आदि का दान, ७. संस्थान द्वारा प्रकाशित साहित्य-सदस्य तथा श्रमण शोध पत्रिका के सम्मानित सदस्य के रूप में। वर्तमान में संस्थान द्वारा प्रकाशित साहित्य के लिए ११०००/- रुपये आजीवन सदस्यता शुल्क रखा गया है। इसके बदले हम अपने संस्थान का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525055
Book TitleSramana 2005 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2005
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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