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________________ साहित्य सत्कार स्वतंत्रता संग्राम में जैन (प्रथम खण्ड), लेखक - डॉ० कपूरचन्द जैन एवं डॉ० श्रीमती ज्योति जैन ; प्रकाशक- प्राच्य श्रमण भारती, १२ / ए, जैन मंदिर के निकट, प्रेमपुरी, मुजफ्फरनगर, २५१००१ ( उ०प्र०); प्रथम संस्करण २००३ ई०, पक्की बाइंडिंग; आकार - रायल; पृष्ठ ५२+४२५ + अनेक चित्र; मूल्य २००/- रुपया मात्र । श्रमण, वर्ष ५५, अंक ७-९ जुलाई-सितम्बर २००४ प्रथम स्वतंत्रता संग्राम १८५७ ई० से लेकर १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्ति तक के ९० वर्षों की दीर्घावधि में जाति-पांति, गरीब-अमीर के भेद-भाव को त्याग कर देश के स्वाधीनता के लिये अपना घर-परिवार आदि का उत्सर्ग कर देने वालों की गिनती कर पाना कठिन है। इसमें भाग लेने वाले किसी लाभ की भावना से नहीं बल्कि देश को स्वतंत्र कराने की भावना से जुड़े रहे। उनके द्वारा किये गये त्याग एवं बलिदान के फलस्वरूप देश स्वतंत्र हुआ। इस संग्राम में भाग लेने वालों में बड़ी संख्या में जैन धर्मावलम्बी भी थे। भारत सरकार तथा विभिन्न प्रान्तीय सरकारों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर विभिन्न पुस्तकों को प्रकाशित किया है। इसी प्रकार विभिन्न जातीय संगठनों ने भी इस विषय पर पुस्तकें प्रकाशित की हैं, किन्तु जैन समाज की स्वतंत्रता आन्दोलन में क्या भूमिका थी, इस बारे में कोई प्रामाणिक पुस्तक नहीं देखने में आयी। इस कार्य को पूरा करने का बीड़ा उठाया युवा उत्साही विद्वान् डॉ० कपूरचन्द जैन और उनकी धर्मपत्नी डॉ० ज्योति जैन ने और उसे बहुत अंशों में पूरा कर दिखाया जो प्राच्य श्रमण भारती, मुजफ्फरनगर के सहयोग से हमारे समक्ष प्रस्तुत है। यह ऐतिहासिक महत्त्व की पुस्तक मुख्य रूप से दो खंडों में विभाजित है । प्रथम खंड में २० अमर जैन शहीदों का जीवन परिचय है। द्वितीय खंड में वर्णक्रमानुसार जैन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का परिचय दिया गया है। पुस्तक के अन्त में सात परिशिष्ट भी दिये गये हैं। परिशिष्ट एक में संविधान सभा और जैन, परिशिष्ट में दो आजाद हिन्द फौज और जैन, परिशिष्ट तीन में स्वतंत्रता संग्राम और जैन पत्रकारिता की चर्चा है। इसी प्रकार आगे के तीन परिशिष्टों में तीन विशिष्ट आलेख हैं। अंतिम परिशिष्ट में ब्रिटिश शासन के समय लिखा गया जब्तशुदा लेख - भगवान् महावीर और महात्मा गांधी दिया गया है। पुस्तक के अन्त में १.१ पृष्ठों की विशाल संदर्भ ग्रन्थ सूची दी गयी है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525054
Book TitleSramana 2004 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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