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________________ ५० : श्रमण, वर्ष ५५, अंक १०-१२/अक्टूबर-दिसम्बर २००४ तक सुसज्जित उरुद्दाम, पैरों में पादवलय आदि वस्त्राभूषणों के साथ-साथ धनुषाकार भौंहें, रतनारे नयन, पतली एवं लम्बी नाक, गोल ठोढ़ी, प्रभावशाली गाल एवं पतले होंठों के अतिरिक्त सम्पूर्ण अंग-सौष्ठव इस कृति के श्री-सौंदर्य को द्विगुणित करते हुए उत्कृष्ट मूर्तिकला को प्रदर्शित करता है। इसकी पादपीठ पर १०वीं-११वीं सदी की नगरी लिपि में, संस्कृत एवं स्थानीय भाषा में दो पंक्तियों का एक अभिलेख उत्कीर्ण है (चित्र - २)।१० इसका लिप्यंत्रण इस प्रकार है - __“ओं (सिद्वम्) संवत्सहस्र सप्तषष्ठे सैकरिक्य श्रीवज्रामराज्ये सांतिविमलाचार्यवसतौ वैसाखस्य सुद्धनवम्यां संचामरभल्लिक्क- यशेष्ठीभिः स्रीसरस्वती संस्थापिता आहिलेन च' ___[ओं (सिद्धम्) विक्रम संवत् १०६७ वैसाख शुक्लपक्ष की नवमी (१०१० ई०) के दिन सैकरिक्य में श्री वज्राम के राज्य में शांतिविमलाचार्य की बस्ती में संचामर और भल्लिक्य गौत्र वाले श्रेष्ठियों के द्वारा श्री सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करवायी गयी, और आहिल ने भी]।११ . स्मरणीय है कि श्रुतदेवी की उपासना विशाल जैन मंदिरों में होती थी।१२ सारत: यह मूर्ति सीकरी के बड़े जैन मन्दिर में उपासना के निमित्त प्रतिष्ठित थी। eid-ঐশমনই নারী নবিনগ্রাম | सो कम्पमा म दास र विमरगनास मापना| आले चित्र - २, श्रुतदेवी (जैन सरस्वती) के पादपीठ पर उत्कीर्ण अभिलेख ऐसा प्रतीत होता है कि आहिल उस शिल्पी का नाम है जिसने मूर्ति उत्कीर्ण की थी। उसका भी योगदान इस मूर्ति की स्थापना में है। चूँकि मूर्तिकार ने अपना नाम बाद में जोड़ा है, इसलिए शेष लेख की अपेक्षा आहिल शब्द सुन्दर एवं बड़े अक्षरों में अंकित है। इस सन्दर्भ में ऐसे ही विचार अधिकाँश विद्वानों के हैं। १३ अभिलेख की भाषा व्याकरण एवं शाब्दिक दृष्टि से कमजोर है और कई शब्द तो अपभ्रंश हैं। लेख में उल्लिखित ‘सैकरिक्य' शब्द महाभारत में इस स्थल के प्रयुक्त शब्द 'सैक' से बहुत-कुछ मिलता जुलता है, साथ ही दोनों शब्द लगभग एक जैसे अभिप्राय से युक्त प्रतीत होते हैं। वास्तव में दोनों शब्द अपने-अपने कालान्तर्गत स्थान विशेष के लिए आरोपित किये गये होंगे। श्री वज्राम ग्वालियर का कच्छघात शासक वज्रदमन है जो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525054
Book TitleSramana 2004 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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